सोमवार, 16 सितंबर 2024
शुक्रवार, 23 अगस्त 2024
ग़ज़ल, शायर का मिजाज तो अंगारा होना चाहिए था
एक नई ग़ज़ल आपके सामने रख रहा हूं।
शायर का मिजाज तो अंगारा होना चाहिए था
और उसकी शायरी को तो शरारा होना चाहिए था
ये जो लड़की अदाएं दिखा रही है सिर पर ईंटें उठाएं हुए
असल मे इस लड़की को तो अदाकारा होना चाहिए था
जिस कली को फूल बनने के पहले ही तोड़ा गया हो
ऐ मेरे परमात्मा उसका जन्म तो दोबारा होना चाहिए था
अपनी गरीबी का मजाक बना रही है उड़ने का सपना देखकर
इस लड़की की किस्मत में तो एक सितारा होना चाहिए था
अब मेरे एहसास किसी समंदर कि तरह हो गए हैं
मगर इसमें तो एक किनारा होना चाहिए था
जब बहुत जरुरत थी छांव कि तभी वह पेड़ उखड़ गया
बुढ़ापे में तो बच्चों को मां-बाप का सहारा होना चाहिए था
मैं जानता हूं तुम क्या सोच रहे हो साकी
ये सारा मयखाना तो तुम्हारा होना चाहिए था
हमने कई वर्षों तक तनहा रातें गुजारी हैं
नुर-ए-मुहब्बत पर पहला हक तो हमारा होना चाहिए था
ग़ज़ल कैसी रही मुझे कमेंट करके अवश्य बताएं, नमस्कार।
बुधवार, 24 जुलाई 2024
पुस्तक प्रकाशित, देह मन्दिर को बनाकर
नमस्कार, हर लेखक या कवि का यह सपना होता है कि एक दिन उसकी किताब प्रकाशित होगी और अब वह मेरा सपना सच हो गया है।
मेरा पहला कविता संग्रह अब उपलब्ध है Amazon और Flipkart पर, लिंक निचे दिया गया है।
मंगलवार, 23 जुलाई 2024
कविता, भारत अखंड है, अखंड ही रहेगा |
नमस्कार, मेरी एक नयी कविता आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं |
भारत अखंड है, अखंड ही रहेगा
विविध रंगों से भरा है यह देश हमारा
हिमालय से कन्याकुमारी तक फैला है उजियारा
पूरब पश्चिम,उत्तर दक्षिण,सब है एक ही धारा
सम्पूर्ण भारत है प्राण हमारा
भाषा,धर्म,रीति-रिवाज, भिन्न भिन्न हो सकते हैं
पर दिलों में प्रेम देश का सदा एक ही रखते हैं
एक सूत्र में बंधे हैं हम भारत माता की संतानें
भारत माता की शक्ति से खड़े हैं हम हर मुश्किल में सीना ताने
नफ़रत और बंटवारे की कोशिशें होंगी नाकाम सदा
एक भारत की भावना रहेगी सदैव ही अटल यहां
आओ मिलकर हम सब इस महान देश का गुणगान करें
भारतवर्ष की होगी जय-जयकार सदा सारे जग में ये ऐलान करें
कविता कैसी लगी मुझे कमेंट करके अवश्य बताएं, नमस्कार |
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