नमस्कार, मेरी एक नयी कविता आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं |
भारत अखंड है, अखंड ही रहेगा
विविध रंगों से भरा है यह देश हमारा
हिमालय से कन्याकुमारी तक फैला है उजियारा
पूरब पश्चिम,उत्तर दक्षिण,सब है एक ही धारा
सम्पूर्ण भारत है प्राण हमारा
भाषा,धर्म,रीति-रिवाज, भिन्न भिन्न हो सकते हैं
पर दिलों में प्रेम देश का सदा एक ही रखते हैं
एक सूत्र में बंधे हैं हम भारत माता की संतानें
भारत माता की शक्ति से खड़े हैं हम हर मुश्किल में सीना ताने
नफ़रत और बंटवारे की कोशिशें होंगी नाकाम सदा
एक भारत की भावना रहेगी सदैव ही अटल यहां
आओ मिलकर हम सब इस महान देश का गुणगान करें
भारतवर्ष की होगी जय-जयकार सदा सारे जग में ये ऐलान करें
कविता कैसी लगी मुझे कमेंट करके अवश्य बताएं, नमस्कार |
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