शनिवार, 14 मार्च 2020

नज्म , मेरी जाने तमन्ना

       नमस्कार , मैने एक नयी नज्म लिखने कि कोशिश कि है मुझे यकिन है कि आप इससे जुड़ पाएंगे

मेरी जाने तमन्ना

मेरी जाने तमन्ना
तजमहल जैसी कोई ख्वाईश मत रख मुझसे
क्योंकि , मै इसे पुरा नही कर पाउंगा
ये मै भी जानता हुं , तु भी

हॉ तुम चाहो तो एक घर बना सकता हुं
तुम्हारे लिए जिसमें
मोहब्बत कि बुनियाद होगी
यकिन कि मजबुत ईटें लगाकर
वादों का सिमेंट लगाकर
चार दीवारी बनाएंगे खुशियों कि
और छत बन जाएंगी सारी उम्मीदें
घर को सुनहरे मुश्तकबिल के सपनों से सजा कर

चिरागों को दहलीज पर रोशन करके
नए जीवन का आगाज करें
और अपनी मोहब्बत को मुकम्मल कर दें
जो पाकिजा मोहब्बत
अक्सर नसीब नही होती महलवालों को भी
मेरी जाने तमन्ना

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      इस नज्म को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

गजल , सागर सी गहरी रेगिस्तान सी पथरीली आंखें

     नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

सागर सी गहरी रेगिस्तान सी पथरीली आंखें
चॉकु छूरी खंजर सी नुकीली आंखें

कोई कैसे बचे इनके तिलस्म से
कत्थई काली निली आंखें

कैसे पढू मै इनकी लिखाबट को
कभी गुस्सा कभी अॉशु कभी सर्मिली आंखें

देखते ही ईश्क का शुरुर होगया
मैने पहले नही देखी थी वो चमकिली आंखें

देखोगे तो तुम्हे भी मर्ज-ए-मोहब्बत हो जाएगी
कभी देखना मत वो फूलों सी रंगिली आंखें

गर तनहा मरा मोहब्बत में तो ईल्जाम उस पन
मार डालेंगी मुझको तेरी ये जहरिली आंखें

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गीत , दो हंसो का जोडा़ हम

     नमस्कार , मैने आज एक नयी गीत लिखी है जिसे मै आपके आंगन में रखना चाहुंगा मुझे आशा है कि मेरी यह गीत आपके मन को भाएगी

दो हंसो का जोडा़ हम
आधा आधा पुरा हम

ईकाई मै ईकाई तुम
दोनो मिलकर दहाई हम
हम लिलें तो शब्द बने
जैसे कागज स्याही हम
हवा बसंती मस्त बयार
तो झूलों का हिलोडा़ हम

दो हंसो का जोडा़ हम
आधा आधा पुरा हम

राधा कृष्ण सी निर्मलता हम में
प्रेम कि उज्वलता हम में
सिताराम ह्रदय विराजे
चांद कि सितलता हम में
हम्हीं हैं दिन रात और
साम और सवेरा हम

दो हंसो का जोडा़ हम
आधा आधा पुरा हम

अपना और पराया हम से
धन दौलत कि माया हम से
गुलाब कि खुशबु हम हैं
पिपल कि छाया हम से
जितना आधा धरती अंबर
उतना हि अधुरा हम

दो हंसो का जोडा़ हम
आधा आधा पुरा हम

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भजन , जपो नम: शिवाय , बोलो नम: शिवाय

       नमस्कार , आपको शिव उपासना के सबसे बडे़ पुर्व महाशिवरात्री कि आपको हार्दीक शुभकामनाए | महाशिवरात्री के पावन पर्व पर मैने एक नया भजन लिखा है जिसे मै आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हुं इस विश्वास के साथ कि यह आपको प्रसंद आएगा |

बस नाम लेले हि कष्ट सारे कट जाएं
जपो नम: शिवाय , बोलो नम: शिवाय

बाबा देवो के देव
बाबा भुतों के स्वामी
बाबा कालों के काल
मां गौरा के स्वामी

भक्ति से पुकारो तो बिगडे. काम बन जाएं
जपो नम: शिवाय , बोलो नम: शिवाय

हाथ में त्रिशुल माथे पे चंदा
गले में शोभे शेसनागजी का फंदा
निलकंठ भुतनाथ त्रीनेत्रधारी
डमरु बजाएं जटा में मां गंगा

आओ सब मिलकर शिव गुण गाए
जपो नम: शिवाय , बोलो नम: शिवाय

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