शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

कविता, मैने लासे चलते देखी है

नमस्कार , इस कविता को मैने 21 अक्टूबर 2017 को लिखा था | इसे पढ़ कर शायद आपको दुनिया और हमारे समाज मे फैली वेश्यावृत्ति जैसी निंदनीय अपराध के प्रति संवेदनशिलता जागृत हो जाये | मैने ये कविता मेरे इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी साझा किया है |

कविता, मैने लासे चलते देखी है

मैंने लासे चलते देखी है.

हवस की तंग गलियों में
लाचार बेबस तन मन को
चंद सिक्कों की खनक के आगे
जिंदगी की जरूरतों में टूटकर
हवस के भेड़ियों को
खुद को परोसते देखी है
मैंने लासे चलते देखी है

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

गुरुवार, 9 अगस्त 2018

मुक्त छंद

नमस्कार , मात्राओ की गिनती और वर्णों की अनिवार्यताओं से मुक्त एक छंद होता है जो हर परकार के साहित्ययीक बाध्यताओं से मुक्त होता है , इस तरह के छंद को मुक्त छंद कहा जाता है |

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मुक्त छंद

27 जनवरी 2016 को मैने कुछ 8 लाइनें लिखी थी , जो किसी कविता, गीत या गजल का हिस्सा नही थी | अध्ययन करने के पश्चात पता चला कि इसे मुक्त छंद कहते हैं | उम्मीद है कि प्रचलन से हटकर भी कुछ नया आपको पसंद आयेगा |

गम के बादल छट जाएंगे
दर्द सारे मिट जाएंगे
जो मिल जाए तेरा सहारा
वादा है हम बदल जाएंगे
एक पाक एहसास होता है
तू जो मुझे अपनाएगी
जो प्यार मिले किसी का
ये जिंदगी  मुस्कुराएगी

     मेरा मुक्त छंद के रूप में एक और छोटा सा यह प्रयास आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, यह खिड़की बंद ही नहीं होती

नमस्कार , ये जो कविता है इसके बारे में मै बस इतना कहना चाहूंगा के ये कविता नही अविधा है | ये कविता मैने करिबदन 22 नवम्बर 2016 को साम के वक्त लिखा था | मुझे आशा है कि मेरी यह कविता आप को पसंद आयेगी |

कविता, यह खिड़की बंद ही नहीं होती


यह खिड़की बंद ही नहीं होती

मेरे सिरहाने एक खिड़की है
जिसमें पर्दे भी नहीं है
एक तो जाड़े का मौसम है
सुबह शाम ठंडी ठंडी हवा आती है
सहर होते ही कहीं से टुकटुक की आवाज आती   है
और मेरी नींद भी पूरी नहीं होती
बस ओठकाकर सोता हूं इसे
बहुत कोशिश की मगर
यह खिड़की बंद ही नहीं होती  

रोज एक खुशबू आती है कहीं से
मेरे बिन चाहे कमरे मे फैल जाती है
पक्षियों का चहचहाना ,मंदिर के घंटों की आवाज
बस यूं ही सुनाई देती रहती  है
खिड़की के उस पार वाले रास्ते से
रोज एक चेहरा गुजरता है
जिसे देखने के खातिर मेरा दिल मचलता है
यह ख्वाहिशें मुझे मेरे लक्ष्य से भटका जाती है
बहुत कोशिश की मगर
यह खिड़की बंद ही नहीं होती 

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं

नमस्कार , वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं ये गजल 5 अक्टूबर 2016 की है | इस गजल को लिखने के पीछे मेरे दिल का एक मामला है कभी गर मैका मिला तो आप को जरूर बताऊंगा | मगर फिर हाल इस गजल का मजा लिजीये |

ग़ज़ल, वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं


कभी गिरते हैं तो कभी संभल जाते हैं
वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं

एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त नहीं होती उन्हें
सितारे भी रात के साथ ढल जाते हैं

क्या हुआ घर गमो का साया बना रहता है
ओस की चंद बूंदों से फूल खिल जाते हैं

सच का सही होना अब कहां जरूरी है
आजकल तो नकली नोट भी बाजार में चल जाते हैं

किसी की शख्सियत का अंदाजा लगाना अब जरा मुश्किल है
पलों में लोगों के खयालात बदल जाते हैं

उन लम्हों को बड़ी फुर्सत से जीना
हसीन पल बड़ी जल्दी गुजर जाते हैं

     मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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