शुक्रवार, 22 जून 2018

हास्य व्यंग कविता, whatsapp का प्यार

      नमस्कार ,  आज के वक्त को डिजिटल  टाइम कहां जा रहा है | कम्प्यूटर तकनीकी की विभिन्न  प्रकार की देनो मे से एक है  सोशल नेटवर्किंग या सोशल मीडिया |  सोशल मीडिया का असर आज के युवाओं में कुछ इस तरह हो गया है कि युवा ज्यादा से ज्यादा वक्त सोशल मीडिया पर बिताने लगे हैं | जहां विभिन्न प्रकार की सोशल मीडिया डिजिटली विभिन्न संप्रदायों को जोड़ने का काम कर रही है वही वास्तविक सामाजिक खालीपन भी ला रही है |

       सोशल मीडिया में युवाओं के रुझान को देखते हुए एवं इसके दुष्प्रभाव को समझते हुए मैंने 11 मई 2018 को एक हास्य व्यंग कविता लिखी थी |  उस हास्य व्यंग कविता को आज मैं आपके समक्ष प्रेषित कर रहा हूं -

WhatsApp का प्यार

हास्य व्यंग कविता, whatsapp का प्यार

एक दिन एक लड़के ने एक लड़की के
WhatsApp अकाउंट पर भेजा 'हाय'
लड़की ने मैसेज का जवाब दिया
क्या है ?
लड़के ने फिर मैसेज किया - 'हेलो'
लड़की ने फिर मैसेज के जवाब में कहा
और भी तो कुछ बोलो
फिर क्या था

दोनों का WhatsApp पर ही मिलना   मिलाना होने लगा
यहां तक कि रूठना मनाना होने लगा
यूं लगने लगा था कि दोनों की सगाई हो गई
मगर एक दिन दोनों की WhatsApp पर  ही गहरी लड़ाई हो गई
फिर क्या हुआ होगा , 'पूछो ?
दोनों ने अपने जख्मों को ही सजा लिया
पुराना WhatsApp कांटेक्ट डिलीट किया और नया बना लिया

      मेरी ये हास्य व्यंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

हास्य व्यंग कविता, कम्प्यूटर साइंस बाहुबली है

   नमस्कार , यह दौर तकनीकी का दौर है उसमें भी अगर यह कहा जाए कि यह कंप्यूटर तकनीकी का दौर है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी | आज दुनिया में जिस तरह से कंप्यूटर तकनीकी का बोलबाला है कि दुनिया की बड़ी से बड़ी जानकारी आपके एक बटन दबाते ही आपके सामने आ जाती है | मानो जैसे पुरी दुनियां एक छोटे से कंप्यूटर में सिमट के रह गई हो |

     इसी विषय को आधार बनाते हुए मैंने तकरीबन 4 महीने पहले एक हास्य व्यंग कविता लिखी है | जिसे मैं आज आपके  मनोरंजन के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं -

कंप्यूटर साइंस बाहुबली है

हास्य व्यंग कविता, कम्प्यूटर साइंस बाहुबली है

टेक्नोलॉजी की चैंपियन
इंजीनियरिंग के खली है
ध्यान लगाकर सब ये सुन लो
कंप्यूटर साइंस बाहुबली है

बड़े-बड़े एयरक्राफ्ट भी
इसके सामने सर झुकाते
रोबोट्स इसके के गुलाम हैं
स्मार्टफोन , लैपटॉप्स के बच्चे कहलाते
विज्ञान से इसका जन्म हुआ है
अमेरिका में पली-बढ़ी है
ध्यान लगाकर सब ये सुनलो
कंप्यूटर साइंस बाहुबली है

सुनने को संगीत दे दिया
देखने को LCD टीबी दे दी
एक क्लिक में सब कुछ हाजिर
एक फोन में दुनिया दे दी
कौन जाने कहां रुकेगी
टेक्नोलॉजी की लहर ये जो अब चली है

टेक्नोलॉजी की चैंपियन
इंजीनियरिंग की खली है
ध्यान लगाकर सब ये सुनलो
कंप्यूटर साइंस बाहुबली है

      मेरी ये हास्य व्यंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

ग़ज़ल, आज आसमान में सितारे नहीं हैं

     नमस्कार ,  एक ग़ज़ल का मतलब और कुछ शेर देखे |  ये जो ग़ज़ल मैं आज आपको सुनाने जा रहा हूं  इसे मैंने तकरीबन 4 महीने पहले लिखा है |  गजल पेश-ए-खिदमत है -

ग़ज़ल, आज आसमान में सितारे नहीं हैं

आज आसमान में सितारे नहीं हैं
शुक्र है रात उनके सहारे नहीं है

समय रहते ही मिट गई सभी ग़लतफ़हमियां
अब ये जाहिर है के वो हमारे नहीं हैंं

साहिल भी है , दरिया भी है और जाना भी है   उस पार
एक नाम भी है मगर पतवारें नहीं हैं

सुकून के लम्हे मुट्ठी में रेत की तरह फिसल जाते हैं
हमने ऐसे लम्हे कभी गुजारे नहीं हैं

ये शहर भी वही है ये लोग भी वही हैं
मगर इस शहर में दिलवाले नहीं हैं

      मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

ग़ज़ल, मुझे देखकर तेरा मुस्कुराना भी कयामत ढाता है

      नमस्कार ,  गजल हमेशा से ही महबूबा की खूबसूरती को बयां करने एवं अदब के लहजे में उससे गुफ्तगू करने का जरिया रही है |  जब कोई महबूब अपनी महबूबा को देखकर यह कहता है के ' मेरे करीब से तेरा गुजर जाना भी क़यामत ढाता है ' तो वह  अपनी महबूबा के बेइंतहा खूबसूरत होने का दावा करता है |  लेकिन बदलते दौर में गजल केबल महबूबा तक ही सीमित नहीं रह गई है |

      आज जो ग़ज़ल मैं आपके खिदमत में पेश कर रहा हूं , उसे मैंने तकरीबन 6 महीने पहले लिखा है | मेरी यह ग़ज़ल यकीनन आपको पसंद आएगी एवं आपको आपके एहसासों की तर्जुमानी करती नजर आएगी | ग़ज़ल का मतला और कुछ शेर देखे के -

ग़ज़ल, मुझे देखकर तेरा मुस्कुराना भी कयामत ढाता है

मेरे करीब से तेरा गुजर जाना भी कयामत ढाता है
मुझे देखकर तेरा मुस्कुराना भी कयामत ढाता है

खूबसूरती इतनी है कि 'उफ'
यूं बात-बात पर तेरा रूठ जाना भी कयामत ढाता है

मचलना ही दस्तूर है हर दिल का
ना - ना कहते हुए तेरा मान जाना भी कयामत ढाता है

करीब आने का जिक्र जब यूं हुआ
हाथ छुड़ाते हुए तेरा पास आना भी कयामत ढाता है

मोहब्बत में बेदिली भी सुकून देती है
मुझे सताकर तेरा नखरे दिखाना भी कयामत ढाता है

महफिल में रुसवाई का डर नहीं है 'तनहा'
पर जरा सी देर के लिए तेरा मुझसे दूर जाना भी कयामत ढाता है

       मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

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