शुक्रवार, 15 जून 2018

आलु चाट

     नमस्कार , आप को खाने में क्या पसंद है ? रसगुल्ले , जलेबी , समोसा , आलु चाट या फिर गोलगप्पे | बहरहाल आपको खाने में जो भी पसंद हो लेकिन अब बिन खाने की चीजों पर लिखी गई कविताएं भी खूब पसंद की जाती | इस तरह की कविताओ को कुकिंग कविताएं कहते हैं |

   इसलिए मैंने भी इसी से प्रेरित होकर एक खाने की चीज पर कविता लिखी है | कविता का शीर्षक है 'आलू चाट' | मुझे आशा है मेरी तरह आपको भी यह कविता बहुत पसंद आएगी -

आलू चाट

आलु चाट

कागज के प्लेट में
खट्टे पानी के साथ
सड़क के किनारे
केले के पास
आषाढ़ की एक रात
मैं और हाथ में
आलू चाट

पानी के गिरती बूंदों की टिप - टिप
चाट वाले के तवे के पीटने से
हो रही थी टिन - टिन
बगल के ठेले पर उबल रही थी चाय
मेरे आस पड़ोस वाले
खा रहे थे चाट , चाट - चाट
आलू चाट

    मेरी ये कुकिंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

बाल कविता , तोता

      नमस्कार , बाल कविताए बच्चो के शैक्षणिक एवं मानसिक विकास में मदद करती हैं |  बाल कविताओं की मदद से बड़े से बड़े एवं जटिल विषय को बच्चों को आसानी से समझा जा सकता है | एक बहुत प्रसिद्ध बाल कविता जिसे हम सब ने सुना होगा ' मछली जल की रानी है ' है |

       आज मैं यहां एक बाल कविता लिख रहा हूं आपके दुलार की उम्मीद है | कविता ये हुई के -

बाल कविता , तोता

तोता

तोता हरा होता है
फर फर फर फर उड़ता है
लाल मिर्ची खाता है
मिट्ठू मिट्ठू कहता है
पेड़ की डाली पर रहता है
पिंजरा देखकर डरता है
तोता हरा होता है

    मेरी ये  बाल कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

गुरुवार, 14 जून 2018

देवी गीत लोकगीत , चलल जायी कुआर में

      नमस्कार ,  देवी लोकगीत या भक्ति लोकगीत एक ऐसी लोकगीत है जो कि कुल देवी देवताओं की पूजा के समय गायी जाती है | देवी गीत लोकगीत भी मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश समेत भारत के कई राज्यों में गायी जाती है | देवी गीत लोकगीत में ईश्वर के प्रति प्रेम की प्रचुरता होती है एवं यही इस लोकगीत की विषय वस्तु भी होती है |

      24 मई 2018 को मैंने एक देवी गीत लोक गीत की रचना की है जिसे मैं मां शारदा के चरणों में समर्पित करते हुए आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं -

देवी गीत लोकगीत , चलल जायी कुआर में

देवी माई के दरबार में
चलल जायी कुआर में

ढोल नगाड़ा बाजे लागी
गली मोहल्ला साजे लागी
देवी माई के जयकारा लगाके
जब सबे भक्ता नाचे लागी
मनोकामना पूर्ण हो जायी
मईया रानी के त्यौहार में
देवी माई के.....

तब कवनो अडचन रोक न पाई
जब देवी मां के बुलावा आई
मईया के महिमा बहुत निराली
जेसे केहू पार न पाई
  उ शक्ति बा देवी माई में
जउन ताकत नाबा कउनो देश की सरकार में
देवी माई के......

देवी माई के दरबार में
चलल जायी कुआर में

    मेरी ये देवीगीत लोकगीत आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

कजरी या सावन महीने का लोकगीत , पकड़के रेलगाड़ी

नमस्कार ,  कजरी या सावन महीने का लोकगीत एक तरह की लोकगीत है जोकि सावन के महीने में गायी जाती है | कजरी लोकगीत मुख्यतः मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , बिहार आदि राज्यों में गायी जाती है | सावन का महीना हरियाली से भरा होता है और यही इस लोकगीत की आत्मा होता है |

    तकरीबन 2 हफ्ते पहले मैंने भी एक कजरी लोक गीत की रचना की है जिसे मैं आपके सम्मुख हाजिर कर रहा हूं आपके दुलार की उम्मीद है -

पटना के बिंदिया
बनारस के साड़ी
लेकर आब  सईयां
पकड़के रेलगाड़ी

कजरी या सावन महीने का लोकगीत , पकड़के रेलगाड़ी

सावन के महीना
कठिन होता जीना
चम चम चमके बिजली
पानी बरसे रोजीना
कईसे समझाई तोहरे की
पिया समझा लाचारी
हाली आब सईयां
पकड़के रेलगाड़ी

बरसात की टिप - टिप
दीया जले धिप - धिप
जिया हमार धडके
धक - धक , धिक - धिक
आजाना जल्दी
तड़पे तोहार प्यारी
आबन सईयां
पकड़के रेलगाड़ी

पटना के बिंदिया
बनारस के साड़ी
लेकर आब  सईयां
पकड़के रेलगाड़ी

    मेरी ये कजरी या सावन महीने का लोकगीत आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

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