बुधवार, 16 मई 2018

क़व्वाली , लोग मुझको दीवाना कहने लगे

    नमस्कार ,  कव्वाली उर्दू साहित्य कि वह विधा है जो गायन में गजल के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय है | कव्वाली अमीर खुसरो की विरासत है जो लगातार लोकप्रिय एवं विस्तृत होती चली जा रही है | उर्दू महफिलों की शान कव्वाली हजारों कव्वाली गायकों एवं शायरों के द्वारा लगातार सहेजी जा रही है | कव्वाली के पुरुष गायकों को कव्वाल एवं महिला गायकों को कव्वाली ही कहा जाता है |\

क़व्वाली , लोग मुझको दीवाना कहने लगे

     बीती सहर मैंने भी एक कव्वाली की रचना की है | जिसे मैं आपकी खिदमत में पेश कर रहा हूं | मुझे यकीन है मेरी ये कव्वाली  पढ़कर आपको उतना ही लुत्फ आएगा जितना कव्वाली सुनकर आता है | कव्वाली पेश है -

लोग मुझको दीवाना कहने लगे

उसने गजब की चली चाल ये
लोग तरस खा रहे हैं मेरे हाल पे
शिकवा मुझे उससे कुछ भी नहीं पर
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

यह मोहब्बत है बस जहर की तरह
जब से हुई हम मरने लगे
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

इश्क की वादियां
क्या नजर आयेंगी
मेरे महबूब की
क्या खबर आएगी
मुश्किल है मेरा अब इंतजार करना
उन्हें देखने को हम तरसने लगे
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

एक दौर वो था
जब मोहब्बत थी हमको
एक दौर ये है
जब नफरत है हमको
मगर हाल ऐसा है मेरे दिल का यारो
उन पर गजल हम कहने लग
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

याद उनकी अब भी क्या गजब कर रही है
सारे अल्फाज मेरे महकने लगे
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

उस जन्म में मिलेंगे किसी मोड़ पर
उसने कहा था जब बिछड़ने लगे
लोग मुझको दीवाना कहने लगे

     मेरी ये क़व्वाली आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

नवगीत , तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं

    नमस्कार ,  अच्छा उदाहरण एवम प्रतीकों का उपयोग हम कहां करते हैं ?  तो आप सोचेंगे कि यह कैसा बेतुका सवाल हुआ ,  तो मैं आपको बता दूं कि यह सवाल वाजिब है | क्योंकि आज मैं हिंदी साहित्य की जिस विधा के बारे में आपको बताने जा रहा हूं एवं अपनी रचना आपके साथ साझा कर रहा हूं उस विधा में विभिन्न प्रकार के प्रतीकों का उपयोग किया जाता है | नवगीत हिंदी साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसमें अलग-अलग प्रतीकों का उपयोग गीतकार अपनी गीत में करता है | यह प्रतीक कुछ इस तरह के होते हैं जैसे , अपनी प्रेमिका को चांद जितना सुंदर बताना ,  प्रेमिका के काले घने बालों को काले घने मेंघो के जैसा बताना आदि |

नवगीत , तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं

    बीते दोपहर के करीब मैंने भी एक नवगीत की रचना की है | जिसे मैं आपके समक्ष आपके प्यार के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं -

तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं

नदी के लहर सी चंचलता है तुझमें
पानी के जितनी सरलता है तुझमें
कभी मौन है तू आकाश जैसी
क्रोधित कभी तो बरसात जैसी
किसी अप्सरा से तू कम नहीं है
तू राधिका मेरी मैं तेरा श्याम हूं
तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं  }....(2)

आसमान का जो जमी से है
फूल का जो डाली से है
तेरा मेरा रिश्ता वही है
दरिया साहिल से अलग तो नहीं है
फूल की खुशबू कहीं छुपती नहीं है
तू पहचान मेरी मैं तेरा नाम हूं
तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं  } ....(2)

सोने का जो होता है तेरे तन का वही रंग है
सुनाई देता है नभ की गर्जना में
हमारे मिलन का वो मृदंग है
तेरे मन पर मेरा जो अधिकार है
मेरे मन पर तेरा जो अधिकार है
हां हां वही है वही प्यार है
तू पूर्ण है तो मैं अल्प विराम हूं
तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं  }....(4)

    मेरी ये नवगीत आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

मंगलवार, 15 मई 2018

मजाहिया शेरो शायरी

     नमस्कार ,  उर्दू शेरो शायरी का एक और रूप है | जिसे मजाहिया शायरी कहा जाता है | मजाहिया शायरी में शायर अपने शेरों में गज़लों में हास्य रस की अनुभूति कराता है | मजाहिया शेरो शायरी उर्दू साहित्य में अपनी एक अलग पहचान रखती है | मजाहिया शेरो शायरी मजाकिया अंदाज में वर्तमान हालात पर व्यंगात्मक तंज करने की एक कला है |

मजाहिया शेरो शायरी

    मुझे जैसे-जैसे उर्दू शेरो शायरी की समझ हो रही है उसी के साथ - साथ  धीरे-धीरे मजाकिया शेरो शायरी की समझ भी हो रही है | हालिया दो-तीन महीनों के अंतराल में ही मैंने उर्दू शेरो शायरी के साथ साथ उर्दू मजाहिया शेरो शायरी की भी कुछ रचनाएं की हैं ,  जिन्हें मैं आप की खिदमत में पेश कर रहा हूं -

एक मतला और दो तीन शेर ये देखे के

कभी खिलाड़ी तो कभी नेता समझता है
एक गोरिल्ला खुद को अभिनेता समझता है

चुनाव लड़ने के लिए अब ये काबिलियत भी जरूरी है
दावेदार पेशे से जेबकतरा होना चाहिए

एक गमजदा मैं ही नहीं हूं मोहब्बत में
खबर ये है कि मेरे अलावा उसके और भी कई आशिक थे

नेता मंत्रियों को इंसान समझने की गलती मत कर देना
कुछ भी ना मिले खाने को तो ये चारा और कोयला भी खा सकते हैं

इसी सिलसिले के दो-तीन शेर और देखें के

जो यह खबर सुनता है वही सुन्न पड़ जाता है
पता चला है जौहरी की दुकान में सब्जियां बिक रही हैं

आपके नहीं मेरे नसीब की चीज है
मेरी फटी जेब से 10 का सिक्का गिरा है मिले तो लौटा देना

हां यह मान लिया हमने उससे इश्क बेहिसाब हो गया है
मगर तोफो का हिसाब तो रखना ही पड़ता है

    मेरी ये मजाहिया शायरी आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |   

तेवरी , भारत को

      नमस्कार ,  हर एक कविता एक स्थाई भाव रखती है , चाहे वह भाव श्रृंगार रस का हो , रौद्र रस का हो , हास्य रस का हो या करुण रस का हो | रौद्र यानि क्रोध क्रोध को आम बोलचाल की सरल भाषा में तेवर कहा जाता है | इसी तेवर की पद्य साहित्य की एक विधा है  , जिसे तेवरी कहा जाता है | तिवरी का तेवर अक्सर विरोधात्मक या व्यंगात्मक होता है |

     आज कल में मैंने एक त्रिपुरी की रचना की है | मेरे द्वारा रचित तेवरी का स्थाई भाव व्यंगात्मक है | तेवरी का शीर्षक है 'भारत को' | रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत है -

भारत को

जाओ वोट नहीं देंगे
हम तुमको
जिन पर भरोसा नहीं
है हमको

तेवरी , भारत को

तुम क्या-क्या करके दिखाओगे हम जानते हैं
हम तुम्हारी नियत पहचानते हैं
मीठे मीठे भाषणों से अपने
जो तुम्हें ना जानते हो
बेवकूफ बनाना तुम उनको

हां हां अपने पास ही रखो
नंगे विकास को अपने साथ ही रखो
धोखेबाजों , मासूम जनता के गुनहगारों
चिकनी-चुपड़ी तुम्हारी बातों से
हम नहीं पिघलने वाले
क्योंकि तुम्हारी औकात मालूम है हमको

जाओ वोट नहीं देंगे
हम तुमको

      मेरी ये तेवरी आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |   

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