नमस्कार , आज ही मैने एक नयी ग़ज़ल लिखी है तो सोचा के क्यों न आपके साथ साझा की जाए | यह पुरी ग़ज़ल जिस विषय पर लिखी है मैने वह आजकल बड़ा ही चर्चा में बना हुआ है तो आप ग़ज़ल पढ़ीए और विषय तलाशने की को शिश करिए | आपका काम थोड़ा आसान करने के लिए मै यह बताए देता हुं कि विषय पहचानने में आपकी ग़ज़ल का मदद दुसरा और आखरी शेर कर सकता है |
समंदर को दरिया में ढलना क्यों है
तिरगी की राह पर चलना क्यों है
मोहब्बत है तो उसे वैसी ही कबूल करो
तुम्हारा मक्सद उसको बदलना क्यों है
सब को चाहिए बस रोशनी उसकी
दीए का नसिब जलना क्यों है
किसी दिन उसकी छुट्टी नही होती
सुरज को रोज निकलना क्यों है
काश के उम्र यहीं ठहर सी जाती
जवानी को बुढ़ापे में ढलना क्यों है
तनहा ने पुछा है ये सवाल तुझसे
तेरी मोहब्बत में मुझको बदलना क्यों है
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इस ग़ज़ल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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