नमस्कार ,मैं हरि नारायण साहू आप सभी का तहे दिल से एक बार फिर अपने ब्लॉग पर स्वागत करता हूं | आप सभी को हमारे गणतंत्र दिवस 26 जनवरी की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं | मेरी भावनाओं को लिखते हुए यदि मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं |
दोस्तों ,आप सभी जानते ही हैं कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व है | इसी दिन 26 जनवरी 1950 को दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र का आगाज हुआ था | हमारा देश भारत एकता, अखंडता , सहिष्णुता , भाईचारे का प्रतीक है | यहां कई भाषाएं और सैकड़ों बोलियां बोली जाती हैं | हमारा देश भारत कई प्राचीन सभ्यताओं की जन्म स्थली है | हमें इस बात के लिए गर्व महसूस करना चाहिए कि हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है जो लिखित रूप में है | संविधान में 6 मौलिक अधिकारों और 10 मौलिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया है जो भारत के सभी नागरिकों पर एक समान रूप से प्रभावी होते हैं | नागरिकों के अधिकारों की रक्षा का दायित्व शासन प्रशासन का है | लेकिन इन सब बातों में गरीबी,बेरोजगारी ,अशिक्षl जैसे कुछ सच है ऐसे भी है जो हमारी देश की आभा में नासूर बन कर चुभते हैं | और हमारी कुछ कमियों का लगातार एहसास कराते हैं |
गणतंत्र दिवस के इस पावन अवसर पर मैंने अपनी भावनाओं को कविता का रूप देने की कोशिश की है आशा है कि आप सभी को पसंद आएगी | कविता का शीर्षक है,
'यही तो हमारा हिंदुस्तान है '
हजारो रंग जहां मानवता के
सैकड़ो बोलियां भाषाएं हैं
विभिन्न जाति धर्मों का संगम स्थल
नई प्राचीन विविध अलौकिक सभ्यताएं हैं
कई नाम है इस मिट्टी के
एकता, सहिष्णुता ,भाईचारा ,स्वतंत्रता , पंथनिरपेक्षता आदि इसकी उपमाएं हैं
तीन मौलिक भावनाएं समेटे हुए
पहचान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
सैकड़ो बोलियां भाषाएं हैं
विभिन्न जाति धर्मों का संगम स्थल
नई प्राचीन विविध अलौकिक सभ्यताएं हैं
कई नाम है इस मिट्टी के
एकता, सहिष्णुता ,भाईचारा ,स्वतंत्रता , पंथनिरपेक्षता आदि इसकी उपमाएं हैं
तीन मौलिक भावनाएं समेटे हुए
पहचान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
यहां राजस्थान की मिट्टी है
जहां महाराणा प्रताप हुए
दुश्मनों का सीना चीरा
ऐसे मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज हुए
जहां महाराणा प्रताप हुए
दुश्मनों का सीना चीरा
ऐसे मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज हुए
झुकना जिसने माना नहीं ,ऐसी स्वाभिमानी थी
स्वयं त्याग दिए प्राण रण में , वह झांसी की रानी थी
स्वतंत्रता के खातिर लाखो बेटों ने शीश चढ़ाए थे
स्वतंत्रता के खातिर लाखो बेटों ने शीश चढ़ाए थे
कितनों ने जेलों में गुजारी अपनी जवानी थी
हंसते-हंसते झूल गए फांसी पर
आजादी के दीवाने
स्वतंत्रता संघर्ष की आहुति में
कितने ही बोस , प्रसाद हुए
फिरंगियों की बुनियाद हिला दी
ऐसे चंद्रशेखर आजाद हुए
जो कर ना पाए गोली बंदूके
बारूद , कटार और तलवारों ने
अहिंसा के मार्ग पर चलकर
वह कर दिखलाया गांधी बापू ने
आज यह जो आजादी है
सिर पर खुला नीला आसमान है
यह उन्हीं देशभक्त क्रांतिकारियों का बलिदान है
आजादी के दीवाने
स्वतंत्रता संघर्ष की आहुति में
कितने ही बोस , प्रसाद हुए
फिरंगियों की बुनियाद हिला दी
ऐसे चंद्रशेखर आजाद हुए
जो कर ना पाए गोली बंदूके
बारूद , कटार और तलवारों ने
अहिंसा के मार्ग पर चलकर
वह कर दिखलाया गांधी बापू ने
आज यह जो आजादी है
सिर पर खुला नीला आसमान है
यह उन्हीं देशभक्त क्रांतिकारियों का बलिदान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
गलियारों , बाजारों में रौनक आ जाती है
जब क्रिसमस, होली ,दिवाली ,ईद आती है
जब कुर्बत में कोई मां कहीं नौकरानी बन जाती है
तब कहीं घर का पेट और परिवार का तन ढाक पाती है
जहां कहीं कोई नारी आबरु बचाने को बिनतियां जानाति है
भीड़ तमाशबीन बन कर देखती रह जाती है पढ़ने की उम्र में बालक, बालिकाए जहां
रद्दी बीनकर ,बेचकर दो वक्त की रोटी कमााती है जिस देश की एक चौथाई आबादी
गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताती है
फिर भी चेहरों पर मुस्कान है
दिल में एक ही भावना ,मेरा भारत महान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
जब क्रिसमस, होली ,दिवाली ,ईद आती है
जब कुर्बत में कोई मां कहीं नौकरानी बन जाती है
तब कहीं घर का पेट और परिवार का तन ढाक पाती है
जहां कहीं कोई नारी आबरु बचाने को बिनतियां जानाति है
भीड़ तमाशबीन बन कर देखती रह जाती है पढ़ने की उम्र में बालक, बालिकाए जहां
रद्दी बीनकर ,बेचकर दो वक्त की रोटी कमााती है जिस देश की एक चौथाई आबादी
गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताती है
फिर भी चेहरों पर मुस्कान है
दिल में एक ही भावना ,मेरा भारत महान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
यहां झूमकर सावन आता
प्यार भरे गीत मयूर गाता
प्रियसी के होंठों की लाली से लगती
किसान को खेती की हरियाली
कहीं फूलों पर तितलियां मडराई
आम पर बौर आगए
कहीं उछलता कूदता बचपन है तो
जैसे कल -कल -कल बहता नदियों का पानी
मां के अंचल सी लगती पेड़ों की छाया
फसलों को सहलाते हुए देखो कहीं से बसंत आया
हंसी ठिठोली धमाचौकड़ी करने का यह बहाना है
अभी फागुन को तो आना है
सभी मौसम रितुए यहां की मेहमान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
प्यार भरे गीत मयूर गाता
प्रियसी के होंठों की लाली से लगती
किसान को खेती की हरियाली
कहीं फूलों पर तितलियां मडराई
आम पर बौर आगए
कहीं उछलता कूदता बचपन है तो
जैसे कल -कल -कल बहता नदियों का पानी
मां के अंचल सी लगती पेड़ों की छाया
फसलों को सहलाते हुए देखो कहीं से बसंत आया
हंसी ठिठोली धमाचौकड़ी करने का यह बहाना है
अभी फागुन को तो आना है
सभी मौसम रितुए यहां की मेहमान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
यही तो हमारा हिंदुस्तान है
मेरी यह कविता आपको कैसी लगी जरूर बताइएगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |
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