शनिवार, 14 मार्च 2020

हास्य व्यंग कविता , आपके केजरीवाल की दिल्ली

     नमस्कार , मैने एक नयी हास्य व्यंग कविता कहने कि कोशिश कि है

फ्री के मायाजाल कि दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

हवा हवाई काम हुआ है
देश में अच्छा नाम हुआ है
जनता पी रही है गंदा पानी
खुलकर सांस लेना भी हराम हुआ है

बिगड़े हुए सुर ताल की दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

पर्दे के पीछे खेल हुए हैं
बच्चे पहले से ज्यादा फेल हुए हैं
झोपड़ी अब भी झोपड़ी है
मगर फैसले  रेलम रेल हुए हैं

राजनीति के शतरंजी चाल कि दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

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      इस हास्य व्यंग कवित को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

गजल , उसका रुठना और मेरा मनाना लाजमी था

     नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

उसका रुठना और मेरा मनाना लाजमी था
उसका दूर और मेरा पास जाना लाजमी था

पाहली मोहब्बत का पहला मौका-ए-वस्ल
उसका शर्माना और हाथ छुडा़ना लाजमी था

तमाम दुनियां कि फिक्र और जमाने का डर
उसका मुस्कुराना और घबराना लाजमी था

तनहा दिल की दशा ही कुछ ऐसी थी
उसका गाना और गुनगुनाना लाजमी था

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नज्म , हम मोहब्बत करके दिखाएंगे

      नमस्कार , कुछ दिनों पहले हमारे देश में खबरों और सीएए एनआरसी के विरोध प्रदर्षनों में पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज कि एक नज्म का जिक्र बारहा हो रहा था और मुझे निजी रुप से यह लगजा है कि इस नज्म कि मुल भावनाओ का सार बदलकर यहा भारत में एक मजहबी उन्माद फैलाने कि कोशिश कि जा रही थी तो मैने इसी को देखते हुए एक नज्म कही थी | नज्म यू है कि

हम मोहब्बत करके दिखाएंगे

हम दिखाएंगे
हम मोहब्बत करके दिखाएंगे
एक दिन वो भी आएगा जब हम जीत जाएंगे
नफरत के सारे बादशाह मिट्टी में मिल जाएंगे

चाहे जितनी स्याह रात हो
तिरगी हो चाहे जितनी घनी
हम जुगनू सच के फरिश्ते हैं
उजाला करके उड़ जाएंगे

ना कोई खौफ ना दहशत होगी
ना कोई नारा ना परचम होगी
सिर्फ अमन की सत्ता होगी
जो वादा किया है अपनों से
वो वादा भी निभाएंगे

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गजल , कलियों ने हवाओ से कह दिया

      नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

कलियों ने हवाओ से कह दिया
कनिजों ने बादशाहों से कह दिया

जाते जाते उसने तो कुछ नही कहा
मैने सब कुछ निगाहों से कह दिया

वो कहते रह गए बस नफरत करो
मैने मोहब्बत खुदाओं से कह दिया

दुनियां में कोई उसके जैसी है ही नही
यही सच मैने अप्सराओं से कह दिया

ये सब ने देखा तनहा ने कुछ कहा ही नही
मगर मैने सब कुछ भावनाओं से कह दिया

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