सोमवार, 6 जनवरी 2020

मुक्तक , char char lineno me bate karunga aapse

      नमस्कार , इस महिने के मध्य में मैने कुछ मुक्तक लिखे हैं जिन्हे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं मुझे यकिन है कि मेरे ये मुक्तक आपको मुतासिर करेंगें |

दिल मानने को तैयार नही है
इसे दिमाग पर ऐतबार नही है
मैने एकतरफा मोहब्बत कि थी उससे
वो मेरी गुनहगार नही है


जहर को निवाला निवाला कह रहे हैं
बाल झड़ने को पांव का छाला कह रहे हैं
जिनके दामन पर हजारों दाग धब्बे हैं
वो दिल्ली में चिल्लाकर दूध को काला कह रहे हैं


ये तो नासमझी है मक्कारी है फरेबी है
सही और गलत बयानी में अंतर करीबी है
आज देश में कुत्ते पालने का मतलब अमीरी हो गई
और गाय पालने का मतलब गरीबी है


ठंड दे रही है सबको कितनी बेदना
सियासत में नही बची है कोई संवेदना
राहुल कि रजाई खिंचकर मोदी ने ये कहा
GST भरो पहले फिर रजाई ओढना


आओ अपने रहनुमाओ का सत्कार करते हैं
इन्हे फिर से दिखा दो कि कितना प्यार करते हैं
दो चार मौतें रोज होती हैं गहलोत ने कहा
हम इनकी सियासत को नमस्कार करते हैं

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शेरो शायरी . kuch ruh ki suna du

     नमस्कार , एक बार फिर से हाजिर हुं मै अपने लिखे कुछ नए शेर लेकर और मुझे बहोत विश्वास है कि ये सारे शेर आपको पसंद आएंगे | कुछ शेर यू कहे है के

तेरे नाम सारी जिंदगी लिख रहा हूं
फक्र है मुझे मैं हिंदी लिख रहा हूं

मै अपना दुखड़ा सुनाउ किसको
चौतरफा घेर कर मार रही है जिंदगी मुझको

शख्सियत से नाग हैं सीरत से नागफनी
ये कैसे लोगों को फरिश्ता बना रखा है तुमने

मैं नहीं कह रहा तुंहें मेरी जान का दुश्मन
मगर मेरे भाई मेरे दुश्मन जान को अपना दुश्मन तो कहो

जब भी जहां भी तन्हा लिखोगे पढ़ोगे सुनोगे बोलोगे
एक शायर तुम्हें बहुत याद आएगा

अब करने लगी है वो भी मेरे मैसेज का रिप्लाई
आज मै उसकी नफरत में सेंध लगा के आया हुं

बच्चों को बेवजह ही मासुम नही कहते
वरना जवानी में कौन चॉकलेट के लिए रोता है

अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाना मिजाज ए राणाई है
केबल ताकत के जोर पर सब हासिल कर लेना ये सोच काबिलाई है

तुम जब भी जहा भी तनहा सुनोगे पढोगे लिखोगे बोलोगे
एक शायर तुम्हे बहोत याद आएगा

ये नही है के बहोत बडा अजुबा हुआ है मेरे साथ
मगर दिल टूटने से कुछ ज्यादा हुआ है मेरे साथ

साम गहरी होगी तो दिल के सारे गम जगमगाएंगे
भवरों को कह दो चुप रहों अब हम गीत गाएंगे

मै मंदिर कि चौखट पर रखा हुआ दीया
मुझसे घर में रोशनी भी कि जा सकती है घर जलाया भी जा सकता है

गुनाह करके सबुत मिटाने का कोई एक ही तरिका थोडी है
फरियादी को डराया धमकाया भी जा सकता है जिंदा जलाया भी जा सकता है

कलम कि किमत पर बाजार कि जरुरते लिखुं
तनहा मै भी मशहुर हो जाउं क्या

कैसे गुजर रहा है मेरा दिन लिखुंगा कभी बाद में
आधी रात को दिवानों को क्या दिखता है चांद में

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मुक्तक char char lineno me bate karunga aapse

     नमस्कार , इस महिने के मध्य में मैने कुछ मुक्तक लिखे हैं जिन्हे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं मुझे यकिन है कि मेरे ये मुक्तक आपको मुतासिर करेंगें |

तेरी अंतरआत्मा जानती है तेरा इमान जानता है
क्या सच है हिन्दू जानता है मुसलमान जानता है
क्यों लगी है आग तेरे सिने में नया कानुन बन जाने से
ये बात तो सारा का सारा हिन्दूस्तान जानता है


दिल तोडनेवाला रहम नही खाता
ऑशु नही पीता गम नही खाता
तेरा नया दिवाना बस चार दिनों का है
सच कहता हुं पर किसी कि कसम नही खाता


अफवाह फैलाकर डराया जा रहा है
वजिरेआजम को चोर बताया जा रहा है
जिसे जाली कहके देश ने दो बार नही लिया
वही जाली नोट फिर से चलाया जा रहा है


हार कि नही जीत की खबर आएगी
तिरगी का सिना चिरकर सहर आएगी
शेरनी तो हर हाल में शेरनी है चुहिया नही
साजिशों के हर जाल से निकल आएगी
 . char char lineno me bate karunga aapse

बुजुर्गों के बनाएं कुछ उसूल रोक रहे हैं
सही गलत हम हर पहलू पर सोच रहे हैं
जब से दहाड़ना बंद कर दिया है शेरों ने
तभी से जंगल में कुत्ते बहोत भोंक रहे हैं

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मुक्तक . char char lineno me bate karnga aapse

     नमस्कार , इस महिने के मध्य में मैने कुछ मुक्तक लिखे हैं जिन्हे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं मुझे यकिन है कि मेरे ये मुक्तक आपको मुतासिर करेंगें |

मोहब्बत अबकी बार है नयी बात है यार
पहला पहला प्यार है नयी बात है यार
मै तो हर रोज करता ही था मगर इस बार उन्हे
मेरे आनलाइन होने का इंतजार है नयी बात है यार


मिजाजे आशिकाना समझ लेता
गर वो अंदाजे शायराना समझ लेता
क्यू तेरे पिछे पिछे चक्कर नही लगाया
गलत मुझको ये जमाना समझ लेता


मौतों को भी नफे नुक्सान में बांट लेती है
वोट के समीकरणों में काट छांट लेती है
राम राज्य के सपने दिखाएगी ये तुमको
याद रखना सियासत है थुककर चाट लेती है


अपने माली हालात के हकिकत कि सजावट नही करते
सिसकते है रोते हैं आशुओ कि लिखावट नही करते
जो लोग राष्ट को गाली देकर खुद को राष्टप्रेमी कहते है , ये देखो
ये लोग भुख से मर जाते है मगर मुल्क के खिलाफ वगावत नही करते


जो चुप हैं वो मुर्दें हैं जो बोल रहे हैं जिन्दा है
सारे कानुन लाचार हैं भारत माता शर्मिंदा हैं
आज के कुष्ण राम शर्म करो मेरी मौत पर
सारे दुशासन जिन्दा हैं सारे रावण जिन्दा है

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