सोमवार, 6 जनवरी 2020

मुक्तक char char lineno me bate karunga aapse

     नमस्कार , इस महिने के मध्य में मैने कुछ मुक्तक लिखे हैं जिन्हे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं मुझे यकिन है कि मेरे ये मुक्तक आपको मुतासिर करेंगें |

तेरी अंतरआत्मा जानती है तेरा इमान जानता है
क्या सच है हिन्दू जानता है मुसलमान जानता है
क्यों लगी है आग तेरे सिने में नया कानुन बन जाने से
ये बात तो सारा का सारा हिन्दूस्तान जानता है


दिल तोडनेवाला रहम नही खाता
ऑशु नही पीता गम नही खाता
तेरा नया दिवाना बस चार दिनों का है
सच कहता हुं पर किसी कि कसम नही खाता


अफवाह फैलाकर डराया जा रहा है
वजिरेआजम को चोर बताया जा रहा है
जिसे जाली कहके देश ने दो बार नही लिया
वही जाली नोट फिर से चलाया जा रहा है


हार कि नही जीत की खबर आएगी
तिरगी का सिना चिरकर सहर आएगी
शेरनी तो हर हाल में शेरनी है चुहिया नही
साजिशों के हर जाल से निकल आएगी
 . char char lineno me bate karunga aapse

बुजुर्गों के बनाएं कुछ उसूल रोक रहे हैं
सही गलत हम हर पहलू पर सोच रहे हैं
जब से दहाड़ना बंद कर दिया है शेरों ने
तभी से जंगल में कुत्ते बहोत भोंक रहे हैं

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      इस मुक्तक को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

मुक्तक . char char lineno me bate karnga aapse

     नमस्कार , इस महिने के मध्य में मैने कुछ मुक्तक लिखे हैं जिन्हे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं मुझे यकिन है कि मेरे ये मुक्तक आपको मुतासिर करेंगें |

मोहब्बत अबकी बार है नयी बात है यार
पहला पहला प्यार है नयी बात है यार
मै तो हर रोज करता ही था मगर इस बार उन्हे
मेरे आनलाइन होने का इंतजार है नयी बात है यार


मिजाजे आशिकाना समझ लेता
गर वो अंदाजे शायराना समझ लेता
क्यू तेरे पिछे पिछे चक्कर नही लगाया
गलत मुझको ये जमाना समझ लेता


मौतों को भी नफे नुक्सान में बांट लेती है
वोट के समीकरणों में काट छांट लेती है
राम राज्य के सपने दिखाएगी ये तुमको
याद रखना सियासत है थुककर चाट लेती है


अपने माली हालात के हकिकत कि सजावट नही करते
सिसकते है रोते हैं आशुओ कि लिखावट नही करते
जो लोग राष्ट को गाली देकर खुद को राष्टप्रेमी कहते है , ये देखो
ये लोग भुख से मर जाते है मगर मुल्क के खिलाफ वगावत नही करते


जो चुप हैं वो मुर्दें हैं जो बोल रहे हैं जिन्दा है
सारे कानुन लाचार हैं भारत माता शर्मिंदा हैं
आज के कुष्ण राम शर्म करो मेरी मौत पर
सारे दुशासन जिन्दा हैं सारे रावण जिन्दा है

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गजल . आस्मा है तु तो जमीन हुं मैं

     नमस्कार , हाल हि में मेरी लिखी एक नयी गजल यू है के

आस्मा है तु तो जमीन हुं मैं
जहन है तु तो जहीन हुं मैं

तुम तो हमवतन हो यार हो मेरे
मुझे दुश्मन समझने वालो का मुखालफिन हुं मैं

मिया शरिफ लोगों में मुझे कोई नही जानता
शराबियों में नामचिन हुं मैं

तिजारत और सियासत मेरे बस कि नही
हां मगर सच कहने में बेहतरिन हुं मैं

चेहरे कि रंगत चाहे जो कुछ भी हो मेरी
तनहा दिल का हसीन हुं मैं

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कविता . घी अशुद्ध होगया

      नमस्कार , मैने एक नयी कविता लिखी है जिसे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं मुझे आशा है कि आपको मेरी ये कविता पसंद आएगी और आप कविता के मुल भाव तक पहुंच पाएंगे

घी अशुद्ध होगया

जो धर्मग्रंथों बेदो पुराणो अपनिषदो
में नही हुआ वो होगया
शुद्धता कि पहचान
शुद्ध कि परिभाषा
अशुद्ध होगया
कैसे होगया तो जबाब मिला
फलाने ने छु दिया
फलाना कौन था ?
फला जाति फला लिंग का इंसान
हे भगवान
कैसे होगा कल्याण
ये तो अपवित्र हो गया
घी अशुद्ध होगया

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