रविवार, 8 जुलाई 2018

तिन मुक्तक

     नमस्कार ,  मुक्तक चार लाइनों की एक  स्वतंत्र रचना होती है | जो अपने कहन में परिपूर्ण होती है |  मुक्तको मैं भाव की प्रधानता होती है | आमतौर पर मुक्तको में श्रृंगार रस का बोध होता है 
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      आज जो मुक्तक मैं आपके साथ साझा करने जा रहा हूं  इन मुक्तकों को मैंने तकरीबन एक साल पहले लिखा है | उम्मीद करता हूं कि मेरे यह मुक्तक आपके मन को भाएंगे -

 तिन मुक्तक

                            (1)

तुझे जब खत लिखता हूं पता गुमनाम लिखता हूं
मैं अपने सर तेरे भी सभी इल्जाम लेता हूं
तेरी यादों का असर अब भी मुझ पर है
तेरा जब नाम लेता हूं मैं दिल को थाम लेता हूं

                            (2)

अनकहे  राज कहने आया हूं
मैं तुमसे प्यार करने आया हूं
जो तुमने अब तक माना ही नहीं
वो दिल की बात कहने आया हूं

                             (3)

खुद को छुपते छुपाते आया हूं
दुनिया की नजरों से बचाके लाया हूं
सिर्फ तुम्हारे लिए ही धड़कता है ये
दिल को तोहफे में सजा के लाया हूं

       मेरी मुक्तकों के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मंगलवार, 3 जुलाई 2018

कविता , बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

  नमस्कार ,  बड़ा दुख होता है यह सुनकर , जानकर कि बेटियों , बहनों पर होने वाले अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे बल्कि दिन पर दिन बढते ही जा रहे हैं | अपराध करने वालों में कानून का कोई डर नहीं है . तकरीबन 5000 बलात्कार की घटनाएं अकेले हमारे मध्य प्रदेश में हर साल होती है | अभी तकरीबन तीन चार महीने पहले  कश्मीर के कठुआ में एक 8 साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था , उस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था | उस मासूम बच्ची के अपराधियों को अभी तक सजा भी नहीं मिल पाई थी कि आज से तकरीबन तिन चार दिन पहले मध्य प्रदेश के मंदसोर में एक सात साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार जैसा जघन्य अपराध हुआ | जब इस घटना के बारे में मैंने न्यूज़ चैनलों पर सुना तो इस घटना ने मुझे मन ही मन तोड़कर रख दिया |

   मन मे हजारों कोलाहल लिए मैं उन सभी बेटियों बच्चियों की आवाज बनना चाहता था जिनके साथ बलात्कार जैसा जघन्य निंदनीय और मानवता को शर्मसार करने वाला अपराध हुआ है | मेरी कोशिश में मैंने एक कविता लिखी है ,  जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं | यदि मेरी यह कविता आपको अपने दिल की भी आवाज लगे तो मैं चाहूंगा की बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के खिलाफ आप इस कविता को अपने विरोध का स्वर बना ले -

कविता , बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

आज अपने दुखों की कहानी कहती है
हर गली मोहल्ले में वह डरती है
जब कोई नजर उसे घूरने लगे
मन ही मन वह घबराती है
अपने पर हुए अन्याय का न्याय चाहती है
बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

कभी दिल्ली , कभी कठुआ
कभी उन्नाव , कभी मंदसोर
कब तक चलेगा पाप का ये दौर
अब हममें और सहने की शक्ति नहीं है
पापियों को कानून का डर क्यों नहीं है
अपने जख्मो का हिसाब चाहती है
बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

कब होगा ऐसा मैं डरूंगी नहीं
कब होगा ऐसा मैं मरूंगी नहीं
कब होंगी हमारी सड़कें सुरक्षित
कब महसूस करूंगी मैं कानून से रक्षित
निर्भय जीने का विश्वास चाहती है
बेटी पापियों का सर्वनाश चाहती है

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

मजाहिया शेरो शायरी,

   नमस्कार ,  शेरो शायरी सिर्फ संजीदा लहजे की ही नहीं होती बल्कि मजाहीया लहजे की भी होती है |  जो थोड़ा तंज करती है और  गुदगुदाती भी है |

मजाहिया शेरो शायरी,

कुछ मजाहिया शेर देखें के

मुसलसल तिन चार जाने चली गई तब जाकर पता चला
पागल खाने का डॉक्टर भी पागल ही था

आप की नहीं मेरे नसीब की चीज है
मेरी जेब से 10 का सिक्का जीरा है जिसे    मिले हो वो लौटा दे

किसी के आगे हाथ जोडा रहा हूं कहीं सजदा कर रहा हूं
उधारीया देकर अब यही कर रहा हूं

भूतों के मोहल्ले में हंगामा हो गया
एक भूत पर किसी इंसान का साया है

जब से उसे किसी इंसान ने काटा है इंसानो की तरह हरकत कर रहा है
सुना है पड़ोसी का वफादार कुत्ता गद्दार हो गया

एक स्मार्टफोन ने धमकाते हुए कॉलर नेटवर्क कोका
मुझे पुराना वाला टेलीफोन समझ रखा हे क्या

      मेरी मजाहिया शेरो शायरी के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

प्रतिगीत, बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम

      नमस्कार ,  हमारे देश की राजनीति के भी कई रंग है और नेताओं के भी कई रंग है | कोई चुनाव प्रचार के दौरान अपशब्दों का उपयोग करता है ,  तो कोई विवादित बयान देकर सुर्खियों में बने रहने की कोशिश करता है ,  कोई विरोधी पार्टियों के खिलाफ बयान बाजी करता है तो कोई अपनी ही पार्टी के खिलाफ साजिश होता है | हमारे देश के कई नेता मंत्री तो ऐसे हैं जो बद से हटने के बाद भी सरकारी सुविधाओं का लगातार लाभ उठाते रहते हैं और कोर्ट के आदेश के बाद भी मकान बंगले खाली नही करते |

        इसी विषय को आधार बनाते हुए मैंने प्रतिगीत लिखने की कोशिश की है | प्रतिगीत की मुख्य गीत भारती सिनेमा की फिल्मी गीत 'बहोत प्यार करते हैं तुमको सनम' की जमीन पर आधारित है | आपके मनोरंजन के लिए प्रतिगीत की प्रस्तुत है -

प्रतिगीत, बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम

बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम
कसम चाहे ले लो घोटालो की कसम
.
हारी है पार्टी चुनाव दोबारा
भूलेंगे कैसे हम ये नजारा
जितना फिर से चाहेंगे
जब तक हे दम
बहोत याद........

सरकारी मकान में मौजें हैं जीतनी
खाली करने के बाद दिक्कतें हैं उतनी
गाडी सरकारी ना
छोडेंगे हम
बहोत याद ........

बहोत याद करते हैं कुर्सी सनम
कसम चाहे ले लो घोटालो की कसम

       मेरी प्रतिगीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

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