मंगलवार, 26 जून 2018

गीत , मैं मोहब्बत का गुनहगार हूं के नहीं बताए कोई

     नमस्कार ,  एक गीत के कई मायने हो सकते हैं , गीत की कहन शक्ति इतनी सशक्त है कि  गीत सभी प्रकार के भावों को खुद में समेट सकती है | असल में गीत शब्दों की वह माला है जिसमें भाव रूपी फूल चुन-चुनकर पिरोया जाता है |

     अब जो गीत मैं आप की हाजिरी में पेश करने जा रहा हूं उसे मैंने 23 मई 2018 को लिखा है | गीत श्रृंगार रस का गीत है | आप कि दुलार की चाहत लिये मैं गीत पेश कर रहा हूं -

गीत , मैं मोहब्बत का गुनहगार हूं के नहीं बताए कोई

नम आंखों की सुनले दुआएं कोई
मैं मोहब्बत का गुनहगार हूं के नहीं
बताए कोई

ख्वाब टूटे कांच की तरह चुभते हैं
ऐसे मासूम बड़ी किस्मत से मिलते हैं
मेरा यार मुझसे रूठा है
उसे मनाए कोई
मैं मोहब्बत का गुनहगार हूं के नहीं
बताए कोई

वह हालात की तल्खी थी
जो रिश्ता तोड़ा था मैंने
असल में मैंने खुद का नाता
गमों से जोड़ा था मैंने
मैं अब भी मोहब्बत के लायक हूं
आके मुझे आजमाएं कोई
मैं मोहब्बत का गुनहगार हूं के नहीं
बताइए कोई

एक दरख्त की बिसात हूं मैं
चमेली हूं या गुलाब हूं
आखिर फुल की ही जात हूं मैं
मोहब्बत साफ पानी है
शरबत या शराब में मिलाए कोई
मैं मोहब्बत का गुनहगार हूं के नहीं
बताइए कोई

नम आंखों की सुनले दुआएं कोई
मैं मोहब्बत का गुनहगार हूं के नहीं
बताए कोई

      मेरी गीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

गीत , ये हमारी गली है कभी आइएगा

        नमस्कार , एक गीत एक अहसास का चेहरा होती है | गीतकार के मन के जो विचार होते हैं वही गीत में शब्दों के रुप में छलक आते हैंं | इसीलिए तो जब गीत को कोई गीतों का चाहनेवाला सुनता है तो खो सा जाता है 

       मेरी ये जो गीत है एक प्रेमी के मन के भावों को प्रकट करती है | ये गीत मैं ने तकरीबन डेढ साल पहले लिखा था | मैं चाहूंगा के आप मेरी इस गीत को भी अपना प्यार दें -

गीत , ये हमारी गली है कभी आइएगा

ये हमारी गली है कभी आइएगा

पल दो पल सही आकर गुजर जाइएगा
ये हमारी गली है कभी आइएगा

यहां चाहत की मीठी कहानी है
फूलों सी कोमल जवानी है
परियां होती सितारों  है पर
नानी की ऐसी कहानी है
नीम कि सीतल छांव के नीचे
वह छोटा सा ताजमहल है मेरा
कहना अभी बाकी बहुत कुछ
कुछ देर और ठहर जाइएगा
ये हमारी गली है कभी आइएगा

एक दफा इधर भी तो देखो सनम
हवाओं के गीत तुम सुन तो सनम
अपने प्यार की दास्तान तुम्हें सुनाएंगे कैसे
कभी धड़कनों की आवाज तुम सुनों तो सनम
क्या रखा है उस शहर में
क्या बिगड़ जायेगा चार पहर में
अरज हमारी मान जाइए ना
आकर यही बस जाइएगा
ये हमारी गली है कभी आइएगा

पल दो पल सही आकर गुजर जाइएगा
ये हमारी गली है कभी आइएगा

         मेरी गीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

सोमवार, 25 जून 2018

नज्म , कोई दिलकश नजारा होती

     नमस्कार ,  नज्मों का मिजाज हमेशा से ही यू रहा है के कोई भी गमजदा , दिलफेक , इश्कजदा इंसान नज़्मों को पड़ता है और उन्हें अपने दिल के बेहद करीब पाता है |   नज़्मों के जरिए हमेशा से ही ऐसे विषय उठाए गए हैं जो समाज की भीड़ में कहीं खो से जाते हैं |  चाहे वह नारी शोषण हो , कन्या भ्रूण हत्या हो , बाल विवाह , बाल मजदूरी हो या फिर मोहब्बत हो तो |

      आज मैं जो नज़्म पेश करने जा रहा हूं इसे मैंने बस चंद दिनों पहले ही लिखा है | मेरी यह नज्म एक किताब की कहानी कहती है | नज्म का उनवान है -

नज्म , कोई दिलकश नजारा होती

कोई दिलकश नजारा होती
किताब होने से बेहतर था
कोई दिलकश नजारा होती
तो लोग निगाह लगाकर देखते तो सही
कुछ इल्म जुटाने की जद्दोजहद करते
मगर
किताब हूं
वह भी गुजरे हुए लम्हों की
संजीदा सी
उधड़े हुए जिल्ड वाली
गुमसुम मिजाज वाली
अपने कोई मोहब्बत की दास्तान तो हूं नहीं
तभी
शायद

         मेरी नज्म के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

रविवार, 24 जून 2018

गीतिका , मै तुम्हारे साथ का हकदार बन जाऊं

    नमस्कार ,  यहां मैं आपको मेरी लिखी एक नयी गीतिका सुनाने वाला हूं |  जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं गीतिका गजल की तरह ही एक रचना विधा है | वास्तव में गीतिका एक छंद का स्वरुप है |

    आज जो मैं गीतिका आपके समक्ष रखने जा रहा हूं , उसमें प्रेम के सौंदर्य का वर्णन है | मेरी उम्मीद और चाहत यही है कि यह गीतिका भी आपको पसंद आए -

गीतिका , मै तुम्हारे साथ का हकदार बन जाऊं

फूल की हर कली में मैं ही मैं नज़र आऊं
मैं तुम्हारे साथ का हकदार बन जाऊं

पूर्ण रुप से जो मैं तुम्हें समझ पाऊं
तो मैं प्रेम का पर्याय बन जाऊं

तेरी आंखों के सुरमें का असर हो
मैं तुम्हारी निगाहों में कुछ इस तरह बस जाऊं

तेरे आंचल की छांव मुझे ही नसीब हो
मैं जो कहीं तपती धूप में यात्री कहलाऊं

     मेरी गीतिका के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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