नमस्कार दोस्तों ,मैं हरि नारायण साहू आपका अपने ब्लॉग पर स्वागत करता हूं | यह मेरा पहला ब्लॉग है इसलिए इसमें जो भी गलतियां हो उसके लिए आप लोग मुझे क्षमा करें|
दोस्तों,'बचपन कितना सुनहरा होता है ना, किसी बात की चिंता नहीं ,किसी का डर नहीं बस दिन भर घूमना ,खेलना और खाना| लड़ना झगड़ना और सरारत करना| इंसान की जिंदगी में यह वह पल है जो शायद सबसे खूबसूरत होते हैं फिर हम जैसे जैसे बड़े होते हैं हमें चिंताएं सताने लगती हैं, कुछ बनने के लिए कुछ करने की भागदौड़ और परेशानियों से जिंदगी भर जाती है, हमारी मासूमियत कहीं खोज जाती है| इन्हीं बातों को सोचते हुए मैंने एक कविता लिखने की कोशिश की है उम्मीद करता हूं आप सभी को पसंद आएगी| कविता का शीर्षक है,
दोस्तों,'बचपन कितना सुनहरा होता है ना, किसी बात की चिंता नहीं ,किसी का डर नहीं बस दिन भर घूमना ,खेलना और खाना| लड़ना झगड़ना और सरारत करना| इंसान की जिंदगी में यह वह पल है जो शायद सबसे खूबसूरत होते हैं फिर हम जैसे जैसे बड़े होते हैं हमें चिंताएं सताने लगती हैं, कुछ बनने के लिए कुछ करने की भागदौड़ और परेशानियों से जिंदगी भर जाती है, हमारी मासूमियत कहीं खोज जाती है| इन्हीं बातों को सोचते हुए मैंने एक कविता लिखने की कोशिश की है उम्मीद करता हूं आप सभी को पसंद आएगी| कविता का शीर्षक है,
'बचपन वापस आना चाहिए'
कहीं मिट्टी में खेलते हुए
कहीं तुतलाते बोलते हुए
कहीं आपस में झगड़ते हुए
कहीं तितलियों के पीछे दौड़ते हुए
जीवन की सारी परेशानियां भूल जाना चाहिए
कहीं तुतलाते बोलते हुए
कहीं आपस में झगड़ते हुए
कहीं तितलियों के पीछे दौड़ते हुए
जीवन की सारी परेशानियां भूल जाना चाहिए
बचपन वापस आना चाहिए
न मन में छल हो
न किसी के प्रति ईर्ष्या हो
अहंकार हमें छुए नहीं
जीवन सदाचारी हो सदा
बिन बात मुस्कुराना चाहिए
बचपन वापस आना चाहिए
न किसी के प्रति ईर्ष्या हो
अहंकार हमें छुए नहीं
जीवन सदाचारी हो सदा
बिन बात मुस्कुराना चाहिए
बचपन वापस आना चाहिए
ना खबर हो दुनिया की
न धर्म की ,ना जात की
सब मिल एक साथ फिर गिल्ली डंडा खेलना गली में
न धर्म की ,ना जात की
सब मिल एक साथ फिर गिल्ली डंडा खेलना गली में
सब एक साथ रोना, हंसना
सब मिल मुस्कुराना चाहिए
बचपन वापस आना चाहिए
सब मिल मुस्कुराना चाहिए
बचपन वापस आना चाहिए
मेरा यह प्रयास कैसा रहा अपने विचार जरुर बताइएगा |