रविवार, 29 मार्च 2020

भजन , राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

     नमस्कार , होली के पावन पर्व पर मैने एक नया भजन लिखा है जिसे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं |

आज होली है होली मनाने दे
राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

क्यो रुठी है मै ना जानु
मै तो तुझको अपना मानु
तेरे बुलाने बंसी बजाउं
देख ना तुझको कितना मानु
आज रोको ना , रंगसे तेरी चुनरी भीगाने दे
राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

नाक कि नथनी झाली खो गई
कल यमुना किनारे बाली खो गई
मईया डांटेगी कान्हा मुझको
गर नयी चुनरी काली हो गई
मरोड़ ना कलाई , छोड़ मोहे जाने दे
राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

आज होली है होली मनाने दे
राधा रंग लगाने दे , मोहे रंग लगाने दे

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      इस भजन को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
 

शनिवार, 14 मार्च 2020

नज्म , आओ दिल्ली दिखाउं मैं तुमको

      नमस्कार , 24 और 25 फरवरी को जब अमेरिका के राष्टपति डोनाल्ड ट्रंप सह परिवार दो दिवसीय भारत दौरे पर आए थे तब उत्तरपुर्वी दिल्ली में हुए दंगों में अब तक 38 से ज्यादा लोगों के मौत कि खबर हैं और 200 से ज्यादा लोग घायल हैं जिसमें 60 से ज्यादा दिल्ली पुलिस के जवान है साथ हि दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल शहिद हुए हैं| | इस दंगे कि गंभीरता को इस बात से समझीए कि इसमें 70 से ज्यादा लोगों को बंदुक कि गोलीयां लगी हैं और आईबी के यूवा ऑफिसर अंकित शर्मा को दंगाई भीडं ने उनके घर से खिचकर लेजाकर आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन के घर मे लेजाकर मार डाला और उनकी लाश को नालें में फेंक दिया | मैने जब अंकित कि मां को चिख चिख कर रो कर सारी घटना मिडिया को बताते हूए बेब न्युज मिडिया पर सुना तो वह रोती बिलकती हुई आंशुओ से भरी हुई आंखे मेरे दिल में घर कर गई तब मैने एक नज्म कहने कि कोशिश की है कि

आओ दिल्ली दिखाउं मैं तुमको

खून के छींटे दिखाउं मैं तुमको
लाशों की गिनती बताऊं मैं तुमको
जिनके बेटे कत्ल किए गए हैं
उन मांओ कि चीखें सुनाउं मै तुमको
आओ हकिकत बताउं मै तुमको
आओ दिल्ली दिखाउं मै तुमको

नफरत कि आग लगाई गई थी
भीडं एक धर्म के खिलाफ भडंकाई गई थी
घरों से खिंचकर बेटों कि जान लेली गई है
चुन चुन कर मंदिर जलाई गई थी
मांए रो रो कर बेसुध हुई हैं
अब कितने आंशु दिखाउं मै तुमको

सारा शहर पत्थरों से भर गया है
डर तो जहन में घर कर गया है
वो मां खुद को संभालेगी कैसे
जिसका बेटा कल मर गया है
ऐसी कितनी दास्तानें हैं
बोलो कितनी सुनाउं मैं तुमको

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नज्म , मेरी जाने तमन्ना

       नमस्कार , मैने एक नयी नज्म लिखने कि कोशिश कि है मुझे यकिन है कि आप इससे जुड़ पाएंगे

मेरी जाने तमन्ना

मेरी जाने तमन्ना
तजमहल जैसी कोई ख्वाईश मत रख मुझसे
क्योंकि , मै इसे पुरा नही कर पाउंगा
ये मै भी जानता हुं , तु भी

हॉ तुम चाहो तो एक घर बना सकता हुं
तुम्हारे लिए जिसमें
मोहब्बत कि बुनियाद होगी
यकिन कि मजबुत ईटें लगाकर
वादों का सिमेंट लगाकर
चार दीवारी बनाएंगे खुशियों कि
और छत बन जाएंगी सारी उम्मीदें
घर को सुनहरे मुश्तकबिल के सपनों से सजा कर

चिरागों को दहलीज पर रोशन करके
नए जीवन का आगाज करें
और अपनी मोहब्बत को मुकम्मल कर दें
जो पाकिजा मोहब्बत
अक्सर नसीब नही होती महलवालों को भी
मेरी जाने तमन्ना

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गजल , सागर सी गहरी रेगिस्तान सी पथरीली आंखें

     नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

सागर सी गहरी रेगिस्तान सी पथरीली आंखें
चॉकु छूरी खंजर सी नुकीली आंखें

कोई कैसे बचे इनके तिलस्म से
कत्थई काली निली आंखें

कैसे पढू मै इनकी लिखाबट को
कभी गुस्सा कभी अॉशु कभी सर्मिली आंखें

देखते ही ईश्क का शुरुर होगया
मैने पहले नही देखी थी वो चमकिली आंखें

देखोगे तो तुम्हे भी मर्ज-ए-मोहब्बत हो जाएगी
कभी देखना मत वो फूलों सी रंगिली आंखें

गर तनहा मरा मोहब्बत में तो ईल्जाम उस पन
मार डालेंगी मुझको तेरी ये जहरिली आंखें

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