शनिवार, 14 मार्च 2020

कुछ मुक्तक

     नमस्कार , इस महिने के मध्य में मैने कुछ मुक्तक लिखे हैं जिन्हे मै आपके दयार में हाजिर कर रहा हुं मुझे यकिन है कि मेरे ये मुक्तक आपको मुतासिर करेंगें |

दुनियॉ लगी है बस पैमाने बनाने में
मै लगा हुं हथेलियों के दस्ताने बनाने में
एक स्कुल बनाने में जिन्दगी गुजर जाती है
एक माह भी नही लगते मयखाने बनाने में


मेरा दिल है भारत मेरा वतन मासाअल्लाह
मेरी जान इस पर कुर्वान मेरे चमन मासाअल्लाह
झुठ बोलकर यार मेरे हमवतनों को गुमराह न कर
तु तो माहिर है इसी में तेरा फन मासाअल्लाह


कभी सोचता हुं कि इतना चाहुं इतना चाहुं उसे
मगर और कितना चाहुं कितना चाहुं उसे
ये कैसी तिशनगी है कि समंदर पिकर भी नही मानती
प्यास बढती जाती है जितना चाहुं जितना चाहुं उसे


दुनियां ने मोहब्बत का दायरा लिख दिया
मैं उसका शायर और उसे शायरा लिख दिया
जितने में उसका आशिक एक शेर नही कह पया
उतनी देर में मैंने उस पर मुशायरा लिख दिया


तमाम पेंडो़ से परिंदे जुदा होगए यार
वो हंसते हुए मंजर कहां होगए यार
एक दौर में यहा महफिले सजा करती थी यारों कि
अब वो सारे दिन हवा होगए यार


वो मंजर कहां देखा था कहां देखा था मैने
मुझे याद नही खंजर कहां देखा था मैने
निकल रहे थे उसके आंख से इतने अॉशु
अब याद आया मुझे समंदर कहां देखा था मैने


शायर है झुठी गुफ्तगु भी खुशुशि कर रहा है
मुल्क को चाहनेवालों सच बोलों जरुरी कर रहा है
मेरे दोस्तों अब बारी आई है दोस्ती निभाले कि
क्योकि दुस्मन अपना काम बखुबी कर रहा है

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कविता , हमें सरदार ने सिखाया था

    नमस्कार , मैने एक कविता लिखी है भारत के प्रथम गृहमंत्री और तेजस्वी नेता लौह पुरुष सरदार पटेल को समर्पित करते हुए

हमें सरदार ने सिखाया था

कण कण जोड़कर एक घर बनाना
घर को सुनहरे सपनों से सजाना
सपनों को अपने दुश्मनों से बचाना
हमें सरदार ने सिखाया था

गली-गली गांव-गांव पग-पग अनेकता
भाषा , बोली , रंग , पंथ , भाव की विभिन्नता
विभिन्नता में एक स्वर में एकता
हमें सरदार ने सिखाया था

नफरतों की साजिशों की हुई पराजय
लोकतंत्र के भावना की हो गई विजय
लाख दुश्मन हो मगर भारत रहेगा अजय
हमें सरदार ने सिखाया था

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गजल , ये तो गलतफहमी है कि मेरा दिल टूटा है

    नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

ये तो गलतफहमी है कि मेरा दिल टूटा है
दिल नहीं टूटा बस एक भरम टूटा है

जिस ने दी है ये खबर बेबुनियाद है
जिसने तुमको बताया है बहोत झुठा है

बस इसीलिए नही खाते भाई भाई एक थाली में
ये जो खाना है उसका जुठा है

कौन लाएगा तवस्सुम मेरे चेहरे पर
जो मेरा खुदा है वही मुझसे रुठा है

ये कैसा रोना है के आंख नम ही नही होती
फेसबुक पर रोने का ये नया तरीका है

तुम जो समझते हो तनहा वो गम नही है मुझको
गम तो ये है के एक अच्छा यार छुटा है 

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गजल , हम तुम्हारे हमराज हैं जाना

    नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

तुमसे मेरे राज हैं जाना
हम तुम्हारे हमराज हैं जाना

कल हम्हीं होंगे मोहब्बत निभाने के लिए
तुम्हारे सारे आशिक बस आज हैं जाना

हरदम जो सदाएं तुम सुनते हो
वो मेरे दिल के साज हैं जाना

मोहब्बत के सिवा दुनियां में कुछ भी नही
नफरत बस अल्फाज है जाना

तुम्हारा मिलना खुशनसीबी मेरी है
ये खुशियॉ तो बस आगाज हैं जाना

मोहब्बत तुम्हे है ये सब को खबर है
खामोशी भी आवाज है जाना

जब कहता है सिधे मुंह पर सच कहता है
ये तनहा का अंदाज है जाना

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