शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

कविता , लगेंगी सदियां नीरज को भुलाने में

    नमस्कार , कवि कुलगुरु महाकवि गीतकार गोपालदास नीरज का कल 19 जूलाई 2018 को एआईएमएस दिल्ली में 93 वर्ष की दीर्घ आयु में निधन हो गया | गोपालदास नीरज को युगकवि रामधारी सिंह दिनकर हिन्दी की वीणा कहते थे | हिन्दी कवि सम्मेलनो की गरिमा आभा गोपालदास नीरज ने अनेकों फिल्मो में सैकड़ों गीत लिखे जिसके लिए उन्हें तिन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था | नीरज के कई कविता संग्रह प्रकाशित हैं , हिन्दी साहित्य में उनके योगदान के लिए हमारे देश के सर्वोच्च नागरीक सम्मानो में से पद्म भूषण , पद्म श्री एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यश भारती सम्मान से सम्मानित किया गया है | हिन्दी साहित्य हमेसा अपने इस महान रचनाकार की कमी महसूस करेगा |

कविता , लगेंगी सदियां नीरज को भुलाने में

    महाकवि गोपालदास नीरज को समर्पित करते हुए श्रद्धांजलि स्वरुप मैने एक कविता अपने इंस्टाग्राम के अकाउंट पर आज यानी 20 जूलाई को पोस्ट की है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं |

लगेंगी सदियां नीरज को भुलाने में

जब कहीं गीतों की कोई बात होगी
नीरज सबसे पहले आपकी याद होगी
नीरज एक कारवाँ गुजर गया
अब बस गुवार देखता रहेगा जमाना
आपको पढ़ता रहेगा जमाना
आपको याद करता रहेगा जमाना
क्योंकि इतने बदनाम हुए हैं इस जमाने में
लगेंगी सदियां नीरज को भुलाने में
उपर ही नहीं नीचे भी
ए भाई 

       मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

घनाक्षरी, कहां का मजनू कहां की लैला

नमस्कार , अक्षरों की सघनता का रूप घनाक्षरी होता है |  घनाक्षरीया भी विभिन्न भावों को  खुद में सहेज लेती हैं | हिंदी भाषा खुद में इतनी सक्षम है कि हर भाव , हर रस की रचनाएं , हर विधा की रचना है अत्यंत सरलतापूर्वक की जाती हैं | घनाक्षरी भी इसी तरह की एक विधा विधा है |

12 जुलाई 2018 को मैंने एक घनाक्षरी लिखी है | जिसे मैं आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं | आपके स्नेह की उम्मीद है |

घनाक्षरी, कहां का मजनू कहां की लैला

कहां का मजनू कहां की लैला

प्यार-व्यार की बातें करते
झूठे-झूठे वादे करते
कहां रह गई है अब सच्ची मोहब्बत
हर महबूबा का आंचल मैला
कहां का मजनू कहां की लैला

आज जो उसका आशिक है
कल वो उसका आशिक था
कल जो उसकी महबूबा थी
आज वो उसकी महबूबा है
अब दिल्लगी ही बाकी बची है
फालतू में इश्क-इश्क का शोर है फैला
कहां का मजनू कहां की लैला

वो मीठी-मीठी बातें याद आती हैं
वो ठंडी-ठंडी रातें याद आती हैं
क्लास बंक करके सारा-सारा दिन
वो कैंटीन वाली मुलाकातें याद आती हैं
तब शहद सा मीठा लगता था
नीम का रस कड़वा कसैला
कहां का मजनू कहां की लैला

       मेरी घनाक्षरी के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

कविता , सब को हंसाने वाला हाथी चला गया

    नमस्कार , एक कवि एक अभिनेता और एक रचनाकार कवि कुमार आजाद जिन्हें हम सब तारक मेहता के उल्टा चश्मा में डाक्टर हाथी के नाम से जानते थे उनका 9 जुलाई को दिल का दौरा पड़ने से दुखद निधन हो गया | मैं दिवंगत आत्मा की शांति की इस संसार के पालक से प्रार्थना करता हूं |

     कवि कुमार आजाद को समर्पित करते हुए श्रद्धांजलि स्वरुप मैने एक कविता अपने इंस्टाग्राम के अकाउंट पर 10 जूलाई को पोस्ट की थी जिसे मैं आज आप को सुना रहा हूं |

सब को हंसाने वाला हाथी चला गया

कविता , सब को हंसाने वाला हाथी चला गया

सब को हंसाने वाला हाथी चला गया
पेशे से कवि और अदाकार था
हंसमुख और वजनदार था
एक सच्चा व्यक्ति
एक अच्छा कलाकार
तारक मेहता के उल्टा चश्मा में डाक्टर के किरदार को अमर बना गया
सब को हंसाने वाला हाथी चला गया
सब को हंसाने वाला हाथी चला गया

       मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता श्रीदेवी जी

    नमस्कार , ये कविता मैने श्रीदेवी के निधन की खबर सुनने के बाद 27 फरवरी को लिखी थी और मैने इसे अपने इंस्टाग्राम के अकाउंट पर पोस्ट किया था | आज बड़े दिन बाद मैने ये सोचा कि आप को भी ये छोटी सी रचना सुनाउ जिसे मैने भारतीय सिनेमा की एक कामयाब , मसहूर और लोगों के दिलो पर राज करने वाली अदाकारा के सम्मान में श्रद्धांजलि स्वरूप लिखा था |

कविता श्रीदेवी जी

श्रीदेवी जी

आप इस दुनिया में भी सितारा थी
आप उस दुनिया में भी सितारा होंगी
देवी जैसा आचरण था
देवी जैसा सत्कार मिले
मेरी यह बिनती है संसार के पालक से
इस पुण्य आत्मा को
शांति का उपहार मिले 

       मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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