सोमवार, 2 जुलाई 2018

शेरो शायरी

   नमस्कार , एक गजल का मतला और दो- तीन शेर देखें के -

जुल्म की हद से गुजरना चाहता है
दीया गहरे तूफान में जलना चाहता है

कल एक परिंदे ने कहा था मुझसे
सुकून से जीना है उसे इसलिए मरना चाहता है

मेरा हालात मेरे अशार बदलने नहीं देता
वो है के मेरा मयार बदलने नहीं देता

बहुत पहले ही मुक्तसर हो जाती मेरे हयात की कहानी लेकिन
वो है कि मेरा किरदार बदलने नहीं देता

दो तिन शेर और देखें के

इतने सितम सहकर तो पत्थर भी उफ कह देता
मेरा दिल है कि दिलदार बदलने नहीं देता

इश्क ने पेचीदा बना दिया है मुझे
नहीं तो पहले आसान था मैं

मुसलसल इस शहर में खौफ का मौसम है
एक सुकून का लम्हा यहां से गुजारना चाहता है

गजल का मख्ता देखने के

'तनहा' है के मिट जाने को तैयार ही नहीं
वो एक तूफान है के सब कुछ मिटाना चाहता है

      मेरी शेरों शायरी के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

कविता , अब चांद को चमकने नही दिया जायेगा

      नमस्कार ,  राजनीति के समीकरण हमेशा बदलते रहते हैं राजनेताओं के मायने भी हमेशा बदलते रहते हैं | नेता चुनाव में किए वादे ऐसे भुला देते हैं जिस तरह से सूखी रेत को हवा उड़ा ले जाती है |  जब चुनाव नजदीक हो तो राजनीति के गलियारों का माहौल गरमाया रहता है |

        राजनीतिक गलियारों कैसे गर्मी पर आधारित मैंने एक कविता लिखी है | यह कविता मैंने आज से तकरीबन 10 ,15 दिन पहले लिखी है जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं -

कविता , अब चांद को चमकने नही दिया जायेगा

अब चांद को चमकने नहीं दिया जाएगा

खबर ये है कि कल रात में
बादलों ने झुंड बनाया है
अब चांद को चमकने नहीं दिया जाएगा
चाहत की रोशनी का विरोध किया जाएगा
विरोध पूरी रणनीति बनाकर किया जाएगा

पहले तारों को चांद के खिलाफ
भड़काया जाएगा
फिर चांद की नाकामियों का
बखान किया जाएगा
बहलाया जाएगा , फूसलाया जाएगा
तोड़ा जाएगा , खरीदा जाएगा

चाहे कुछ भी करना पड़े
दुश्मनों के गले ही क्यों ना लगना पड़े
हर मुमकिन से मुमकिन तक
नामुमकिन से नामुमकिन तक
सब कुछ आजमा कर देखा जाएगा
खबर ये है कि कल रात में
बादलों ने झुंड बनाया है
अब चांद को चमकने नहीं दिया जाएगा

      मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

शुक्रवार, 29 जून 2018

हाइकु , मेरे छत पर एक अनजान ओढ़नी

   नमस्कार , हाइकु 3 लाइन की जापानी कविताओं का वह रूप जिसमें किसी भी भाव को कहने के लिए शब्दों की बहुत कम जरूरत होती है |  हायकू कविता छोटी एवं बहुत अधिक असरकारक हो होती है |

   यहां मैं आपसे मेरा लिखा एक और हाइकु साझा करने वाला हूं ,  जिसे मैंने करीबन एक से डेढ़ सप्ताह पहले लिखा है |

हाइकु , मेरे छत पर एक अनजान ओढ़नी

मेरे छत पर एक अनजान ओढ़नी

कलर हरा है
दीदी के पास इस कलर की
ओढ़नी नही है

तो

मतलब
यह कहां से आई
किसकी है ?

क्या ?
बगल के मकान से
पर उसमें तो ...|

मतलब
कोई और है
तो क्या वो हमउम्र होगी

या फिर
कहीं
कोई बासी दाल तो नहीं है

      मेरा हाइकु के रूप में एक और छोटा सा यह प्रयास आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

तेवरी , देखिए

    नमस्कार ,   ऐसी कविताएं जिनका एक अलग सा तेवर होता है उन्हें ही तेवरी कहा जाता है |  तेवरी कविताएं में देखा गया है कि  यह कविताएं किसी एक विशेष भाव का बगावत करती हुई नजर आती हैं या यूं कहें कि प्रति उत्तर देती हुई नजर आती हैं |

     आज जो तेवरी मैं आपके समक्ष रखने वाला हूं वह एक आम से तेवर की कविताएं | इस तेवरी को मैंने तकरीबन हफ्ते भर पहले लिखा है -

देखिए

तेवरी , देखिए

देखिए
दरअसल कोई आदेश सूचक शब्द नहीं है
ना तो यह किसी बात का प्रतिउत्तर है
और ना ही कोई संबोधन है

देखिए एक तरीका है
जो हर किसी का अपना अपना होता है
कोई देखिए को बड़े जोर से कहता है
और कोई बड़े आस्ते से

मतलब अगर मैं यह कहूं कि
देखिए ....
सबका अपना-अपना होता है

      मेरी तेवरी के रूप में एक और छोटा सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

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