शुक्रवार, 22 जून 2018

ग़ज़ल, आज आसमान में सितारे नहीं हैं

     नमस्कार ,  एक ग़ज़ल का मतलब और कुछ शेर देखे |  ये जो ग़ज़ल मैं आज आपको सुनाने जा रहा हूं  इसे मैंने तकरीबन 4 महीने पहले लिखा है |  गजल पेश-ए-खिदमत है -

ग़ज़ल, आज आसमान में सितारे नहीं हैं

आज आसमान में सितारे नहीं हैं
शुक्र है रात उनके सहारे नहीं है

समय रहते ही मिट गई सभी ग़लतफ़हमियां
अब ये जाहिर है के वो हमारे नहीं हैंं

साहिल भी है , दरिया भी है और जाना भी है   उस पार
एक नाम भी है मगर पतवारें नहीं हैं

सुकून के लम्हे मुट्ठी में रेत की तरह फिसल जाते हैं
हमने ऐसे लम्हे कभी गुजारे नहीं हैं

ये शहर भी वही है ये लोग भी वही हैं
मगर इस शहर में दिलवाले नहीं हैं

      मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

ग़ज़ल, मुझे देखकर तेरा मुस्कुराना भी कयामत ढाता है

      नमस्कार ,  गजल हमेशा से ही महबूबा की खूबसूरती को बयां करने एवं अदब के लहजे में उससे गुफ्तगू करने का जरिया रही है |  जब कोई महबूब अपनी महबूबा को देखकर यह कहता है के ' मेरे करीब से तेरा गुजर जाना भी क़यामत ढाता है ' तो वह  अपनी महबूबा के बेइंतहा खूबसूरत होने का दावा करता है |  लेकिन बदलते दौर में गजल केबल महबूबा तक ही सीमित नहीं रह गई है |

      आज जो ग़ज़ल मैं आपके खिदमत में पेश कर रहा हूं , उसे मैंने तकरीबन 6 महीने पहले लिखा है | मेरी यह ग़ज़ल यकीनन आपको पसंद आएगी एवं आपको आपके एहसासों की तर्जुमानी करती नजर आएगी | ग़ज़ल का मतला और कुछ शेर देखे के -

ग़ज़ल, मुझे देखकर तेरा मुस्कुराना भी कयामत ढाता है

मेरे करीब से तेरा गुजर जाना भी कयामत ढाता है
मुझे देखकर तेरा मुस्कुराना भी कयामत ढाता है

खूबसूरती इतनी है कि 'उफ'
यूं बात-बात पर तेरा रूठ जाना भी कयामत ढाता है

मचलना ही दस्तूर है हर दिल का
ना - ना कहते हुए तेरा मान जाना भी कयामत ढाता है

करीब आने का जिक्र जब यूं हुआ
हाथ छुड़ाते हुए तेरा पास आना भी कयामत ढाता है

मोहब्बत में बेदिली भी सुकून देती है
मुझे सताकर तेरा नखरे दिखाना भी कयामत ढाता है

महफिल में रुसवाई का डर नहीं है 'तनहा'
पर जरा सी देर के लिए तेरा मुझसे दूर जाना भी कयामत ढाता है

       मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

शनिवार, 16 जून 2018

ग़ज़ल, वो है के मेरा मयार बदलने नहीं देता

   नमस्कार , गजलें हमेसा से कुछ ऐसी भी बातें आपको दुनिया के लोगों के बारे में बताती हैं जो हमें आमतौर पर मालुम नही होती है और वो भी इशारों में | हर गजल का आपना एक मिजाज होता है और यही इस विधा की खासियत है |

    3 जून 2018 को मैने एक गजल लिखी थी जिसे मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं | गजल का मतला और कुछ शेर देखें के -

मेरा हालात मेरे अशार बदलने नहीं देता
वो है के मेरा मयार बदलने नहीं देता

बारहा साधता है निशाने मुझ पर ही
मेरा महबूब है कि अपना शिकार बदलने नहीं देता

बहुत पहले ही मुक्तसर हो जाती मेरे हयात की कहानी लेकिन
वो है कि मेरा किरदार बदलने नहीं देता

कभी-कभी सोचता हूं मैं कि ये मुल्क की तरक्की का दौर है
मेरा निजाम है कि मेरे विचार बदलने नहीं देता

इतने सितम सहकर तो पत्थर भी उफ कह देता
मेरा दिल है कि दिलदार बदलने नहीं देता

डॉक्टर महबूब का जलवा ए हुस्न तो देखिए
बीमारी ठीक है लेकिन बीमार बदलने नहीं देता

'तन्हा' के नहीं अब किसी और के हो गए हैं वो
मगर इश्क है कि आशिकी का इख्तियार बदलने नहीं देता

    मेरी ये गजल आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

शुक्रवार, 15 जून 2018

जल्दी बताओ

     नमस्कार ,  यूं तो हम हर रोज बहुत सारी कविताएं पढ़ते हैं , मगर अगर आपने ध्यान दिया हो तो उन कविताओं में से कुछ ऐसी भी कविताएं होती हैं जो हमें कुछ ना कुछ सिखा देतीे हैं | इस तरह की कविताओं को अमूमन शिक्षण कविताएं कहा जाता है | यह कविताएं भी बाल कविताओं की तरह ही होते हैं |

      यहां मैं मेरी कुछ दिनों पहले लिखें इसी तरह की एक कविता आपके समक्ष प्रदर्शित करने जा रहा हूं | आप के दुलार की उम्मीद करता हूं -

जल्दी बताओ


जल्दी बताओ

दो में दो बार दो जोड़ो
फिर एक बार दो घटाओ
अब बच गया क्या ?
जल्दी बताओ ?

सत्य का विलोम असत्य
सही का विलोम गलत
तो असत्य और गलत का विलोम क्या ?
जल्दी बताओ ?

यस्टरडे मैंने बीता हुआ कल
टुमारो मैंने आने वाला कल
तो आज को कहेंगे क्या ?
जल्दी बताओ ?

    मेरी ये शिक्षण कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

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