नमस्कार , एक नयी ग़ज़ल के कुछ शेर यू देखें
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
वो पहले मुहब्बत करने का वादा ओढ़ के आएगा
दहलीज़ पर रखा चिराग बुझाना मत सहर देखकर
अंधेरा उजाले का लबादा ओढ़ के आएगा
उसकी स्याह नियत पहचान न पाओगे तुम
बहरूपिया मखमल ज्यादा ओढ़ के आएगा
उसके किरदार पर हजारों इल्जाम लगते हैं
खुदा आया तो लिहाफ सादा ओढ़ के आएगा
तनहा जो शख्स जिस्म से नही रुह से बेपर्दा है
वही शख्स महफिल में रेशम ज्यादा ओढ़ के आएगा
मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |
उम्दा और बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंAapka Bahut Bahut Aabhar Mam
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