सोमवार, 11 नवंबर 2024

ग़ज़ल, दिल हमारा गुनहगार नहीं है

 दिल हमारा गुनहगार नही है 

ऐसा कोई पहली बार नही है 


हर बार यही सोचता हूं आखरी है 

मगर ये भी आखरी बार नही है


तुझे रास्ता बदलना है तो ऐलानिया बदल 

हमें भी कोई तेरा ही इंतजार नही है 


सांचे में ढालकर कांसे को सोना बना दूं 

ये मेरी कहानी है मगर मेरा किरदार नही है 


तनहा आसान नहीं है जुर्म कबूल कर लेना 

मुझे बेगुनाह समझे ऐसी सरकार नही है

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024

मुक्तक, हम जय श्री राम कहेंगे

हम भारत की शान को भारत कि शान कहेंगे।  

हम अपने भगवान को तो, भगवान कहेंगे। 

अयोध्या ही नहीं पुरा देश स्वागत कर रहा है। 

हम अपने प्रभु श्री राम को सादर जय श्री राम कहेंगे।

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

ग़ज़ल, शायर का मिजाज तो अंगारा होना चाहिए था

एक नई ग़ज़ल आपके सामने रख रहा हूं। 


शायर का मिजाज तो अंगारा होना चाहिए था 

और उसकी शायरी को तो शरारा होना चाहिए था 


ये जो लड़की अदाएं दिखा रही है सिर पर ईंटें उठाएं हुए 

असल मे इस लड़की को तो अदाकारा होना चाहिए था 


जिस कली को फूल बनने के पहले ही तोड़ा गया हो 

ऐ मेरे परमात्मा उसका जन्म तो दोबारा होना चाहिए था 


अपनी गरीबी का मजाक बना रही है उड़ने का सपना देखकर 

इस लड़की की किस्मत में तो एक सितारा होना चाहिए था 


अब मेरे एहसास किसी समंदर कि तरह हो गए हैं 

मगर इसमें तो एक किनारा होना चाहिए था 


जब बहुत जरुरत थी छांव कि तभी वह पेड़ उखड़ गया 

बुढ़ापे में तो बच्चों को मां-बाप का सहारा होना चाहिए था


मैं जानता हूं तुम क्या सोच रहे हो साकी 

ये सारा मयखाना तो तुम्हारा होना चाहिए था 


हमने कई वर्षों तक तनहा रातें गुजारी हैं 

नुर-ए-मुहब्बत पर पहला हक तो हमारा होना चाहिए था


ग़ज़ल कैसी रही मुझे कमेंट करके अवश्य बताएं, नमस्कार। 

Trending Posts