सोमवार, 15 अप्रैल 2024

कविता, राम का आधुनिक वनवास भाग ४

 भाग ४

२२ जनवरी सन २०२४ का वह पावन दिन

सुखद मंगलकारी और मन भावन दिन

जब देखा पुरे विश्व ने राम को नव मंदिर में

हर्षित हो गई मनगंगा ऐसा अतिपावन दिन


अंत हो गयी अंतहिन प्रतीक्षा 

युगों युगों तक होगी समीक्षा

राम अवध के अवध राम की

पुर्ण हो गई मन की सब इच्छा

कविता, राम का आधुनिक वनवास भाग ३

 भाग ३

जब कलयुग ने विस्तार किया

असत्य का सत्कार किया

नष्ट होने लगी जब मर्यादा

राम का तिरस्कार किया


विश्वास को अविश्वास दिया

समृद्धि को उपहास दिया

कामी कपटी लोभी मोही सत्ताओं ने

फिर राम को वनवास दिया


अब का वनवास पांच सौ वर्षो था 

अंधकार का ये कालखंड संघर्षो का था 

बस एक नाम था भारत के पास राम 

पुनः गृह आगमन का प्रतीक्षा काल वर्षों का था

कविता, राम का आधुनिक वनवास भाग २

 भाग २


तब कर्म ने अधिकार लिया

पृथ्वी पर उपकार किया

मर्यादा की स्थापना के लिए

प्रभु ने राम रुप अवतार लिया


जब पुरुषोत्तम ने पुरुषार्थ दिखाया

आतंक को यथार्थ दिखाया

पाप और अत्याचार का दमन कर

विश्व को सत्यार्थ दिखाया 


मर्यादा पुरुषोत्तम को जान लिया

जग ने सत्य को मान लिया

फिर राम राज्य नही होगा

पृथ्वी ने भी पहचान लिया

कविता , राम का आधुनिक वनवास भाग १

 भाग १

एक वनवास तब मिला था

जब लंका में पाप बढ़ा था

धर्म की हानी हो रही थी

चारों दिशाओं में त्राहिमाम मचा था


नारी का सम्मान नही था

मर्यादा का मान नही था

मानवता का ज्ञान नही था

कोई संविधान नही था


नीति नही थी न्याय की

वह प्रतिष्ठा नही थी गाय की

सत्य का आभाव था

रीति चल रही थी अन्याय की

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