शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

गजल ; पत्थर भी तैर जाता है पानी पर

     नमस्कार , मैने एक नयी गजल कहने कि कोशिश कि है गजल का मतला और कुछ शेर यू देखें कि

ग्रहण लगा है कहानी पर
किरदार बाकी है निशानी पर

दिल में कोई नेकनीयत रख कर तो देखो
पत्थर भी तैर जाता है पानी पर

बुजदिल ही सारी उम्र का हासिल हो तो क्या है
हो मुल्क पर कुर्बान फक्र है ऐसी जवानी पर

कहीं ना कहीं तो परियां होती होंगी
मुझे यकीन है अपनी नानी पर

दुनिया लोहा सोना पत्थर कि कारोबारी है
मैं रुका हूं तो बस फूलों की बागवानी पर

दिल देकर जो एहसान जताता रहे
लानत है ऐसी मेहरबानी पर

सरकारी दफ्तर में जायज कोशिश कर चुका हूं मैं
अब यकीन बाकी है तो बस चाय पानी पर

हस्त्र इमानदारों का देख देख कर तन्हा
दुनिया तुली हुई है बेईमानी पर

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